Hindi, asked by saanvi1345, 2 months ago

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Answered by Gaganmeetkaur
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Answer:

कर्मों से ही इंसान की पहचान होती है। महंगे कपड़े तो पुतले भी पहनते है दुकानों में, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसकी पहचान अच्छे कर्म करने वालों में हो। मनुष्य मन में किसी से बदला लेने का विचार न रखे। मनुष्य को चाहिए कि वो मन में किसी से बदलने की भावना को छोड़ कर सामने वाले को बदल दे।

Explanation:

कर्मों से ही इंसान की पहचान होती है। महंगे कपड़े तो पुतले भी पहनते है दुकानों में, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसकी पहचान अच्छे कर्म करने वालों में हो। मनुष्य मन में किसी से बदला लेने का विचार न रखे। मनुष्य को चाहिए कि वो मन में किसी से बदलने की भावना को छोड़ कर सामने वाले को बदल दे। आज इंसान की चाहत है कि उडऩे को पर मिले, और प¨रदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले। यह बात उचाना स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के पास स्थित 22 पंथ जैन स्थानक में प्रवचन करते हुए साध्वी एशना ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी मनुष्य को छोटी सोच, पैर की मोच आगे नहीं बढऩे देती है। मनुष्य को चाहिए कि वह बड़ी सोच के साथ जीवन बसर करें न कि छोटी सोच के साथ जीवन को जीए। मनुष्य को चाहिए कि जिस मनुष्य जीवन के लिए देवता तरसते हैं, उस जीवन में अच्छे कर्म करें। मनुष्य को हमेशा मीठा बोलना चाहिए, क्योंकि कड़वे बोल बोलने से हमेशा हानि होती है। महाभारत का युद्ध का कारण द्रोपदी द्वारा दुर्योधन को बोले गए कड़वे बोल के कारण हुआ था। उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि एक धनवान सेठ था। उसने एक दिन सोचा कि उसके पास कितनी धन दौलत है, उसका पता करेगा। सेठ ने अपने यहां कार्य करने वालों से धन-दौलत के बारे में पूछा। सेठ को पता लगा कि अगर उसकी दस पीढ़ी काम न करें तो भी आराम से जीवन बसर कर सकती है। सेठ कुछ दिन खुश रहा, लेकिन उसे अपनी 11वीं पीढ़ी की ¨चता होने लगी। इस सोच में वह कमजोर होने लगा। सेठ एक संत के पास गया पूरी बात बताई। संत ने नगरी में झोपड़ी में बुढिय़ा को दो सब्जी, चार रोटी देने से समस्या दूर होने का समाधान बताया। सेठ झोपड़ी में गया तो वहां एक बच्ची थी। बच्ची से उसकी दादी के बारे में पूछा तो उसे बताया कि वह भगवान के नाम का सिमरण कर रही है पता नहीं कब तक सिमरण करेगी। सेठ बच्ची को सब्जी, रोटी देने लगा तो उसने कहा कि सुबह का भोजन को दे गया है। सेठ ने कहा कि शाम के लिए रख लो, तो बच्ची बोली शाम को आना, सेठ ने कहा कि अब भोजन ले लो तो बच्ची ने कहा जिसने भगवान ने सुबह भोजन देने के लिए किसी को भेज दिया तो शाम को भी कोई आ जाएगा। सेठ ने सोचा कि बच्ची को शाम के भोजन की ¨चता नहीं है जबकि वह 11वीं पीढ़ी की ¨चता कर रहा है। इससे सेठ ¨चता मुक्त होकर आराम से जीवन बसर करने लगा। इस मौके पर गीता, कविता, कृष्ण मौजूद रही।

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