Hindi, asked by aaru6059, 7 months ago

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Answered by kalivyasapalepu99
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धातोः उप समीपे स्वभावनिश्चया इति उपसर्गाः । प्रायः 21 उपसर्गाः इति प्रसिद्धाः । ते यथा -

अति - अतिचरति

अधि - अधिगच्छति

अनु - अनुगच्छति, अनुकरोति

अप - अपनयति, अपकरोति

अभि - अभिगच्छति, अभिज्ञायते

अव - अवमन्वते, अवगच्छति

आङ् - आगच्छति,आदिशति

उत्(उद्) - उच्चारयति, उदयते

उप - उपैति, उपस्कुरुते

दुर् - दुरयते

दुस् - दुश्चरति

नि - निबद्नाति, निवर्तते

निर् - निर्दिशति, निर्गच्छति

निस् - निस्तम्बते 1

परा - पराभवति, परायते

परि - पर्युपासते, परिपूरयति

प्र - प्रभवति, प्रवज्रति

प्रति -प्रत्येति. प्रतिगच्छति

वि - विजानाति, विहरति

सम् - सम्भवति, सङ्गच्छति

सु - सुद्ध्यति

सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे - सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।

सन्धि के नियम केवल भारतीय भाषाओं में ही नहीं हैं बल्कि कोरियायी जैसी यूराल-आल्टिक परिवार की भाषाओं में भी हैं। जिस प्रकार नीला और लाल मिलकर बैगनी रंग बन जाता है उसी प्रकार सन्धि एक "प्राकृतिक" या सहज क्रिया है।

सन्धि के भेद

सन्धि तीन प्रकार की होती हैं -

स्वर सन्धि (या अच् सन्धि)

व्यञ्जन सन्धि { हल संधि }

विसर्ग सन्धि

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