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प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं-
➱(i) प्रस्तुत पद्यांश के कवि ' जयशंकर प्रसाद ' एवं इस कविता का नाम श्रृद्धा मनु है।
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➱(ii) श्रद्धा मनु के हताश मन को प्रेरणा दे रही है।
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➱(iii)श्रृद्धा द्वारा मनु के निराश मन को प्रेरित करने के प्रसंग का वर्णन किया गया है।
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➱(iv) ’एक परदा था यह झीना नील’ इस पंक्ति में उपमा अलंकार है।
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➱(v)रेखांकित अंश की व्याख्या -
श्रृद्धा मनु को समझती हुई कहती है कि जिस प्रकार रात्रि के अंतिम पहर के समाप्त होने पर नवीन प्रभात उदित होता है , उसी प्रकार दुःख के अंतिम क्षण बीतते ही सुख स्वत: समीप आ जाता है । इस प्रकार श्रद्धा ने निराश मनु में आशा का संचार किया है।
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