Hindi, asked by nudit12, 2 months ago

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Answered by abhinavkrhzb
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पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं जल अन्न और अच्छे वचन ।

फिर भी मूर्ख पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहते हैं ।|

सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥

अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् | उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् |

अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् | उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् | अर्थात् : यह मेरा है ,यह उसका है ; ऐसी सोच संकुचित चित्त वोले व्यक्तियों की होती है;इसके विपरीत उदारचरित वाले लोगों के लिए तो यह सम्पूर्ण धरती ही एक परिवार जैसी होती है |

एक व्यक्ति जिसके पास निम्नलिखित पाँच गुण हैं जो वर्णमाला ‘‘-, -va ’से शुरू होता है, समाज में अच्छी तरह से सम्मानित किया जाएगा:

(i) अच्छी पोशाक भावना (ii) अच्छी काया (iii) अच्छा संचार कौशल, (iv) ज्ञान और (v) अनुशासन / डेडिकेट ..

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