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1. संगतकार मुख्य गायक के स्वर से स्वर मिलते हैं परंतु उनके स्वर से ऊंचा स्वर नही गाते अर्थार्थ हमेशा गुरु से नीचे रहते हैं। यह कवि की दृष्टि में विफलता नही, संगतकार नैतिक मूल्य है की वह अपने गुरु (मुख्य गायक) के स्वर का उल्लंघन कर उससे ऊंचा स्वर नही उठाता। वह मुख्य गायक का सम्मान बनाये रखने में सहायता प्रदान करता है।
2. संगतकार हर कार्य मे बिना सामने आकर उस कार्य को सफल बनाने में सहायता प्रदान करता है। वह मुख्य गायक के तारसप्तक के समय गला बैठ जाने पर सुर सम्हालता है, जैसे उनका बिखरा हुआ समान सम्हाल रहा हो। वह उनके आलाप के दौरान सुरो के तानो में खो जाने पर मुख्य स्वर निकालकर उन्हें बाहर लाता है तथा जब मुख्य गायक का उत्साह कम होने लगता है तब उन्हें सहानुभूति एवं सांत्वना प्रदान करता हैं।
3. विदाई के समय माँ ने अपनी बेटी को यह सीख दी कि "लड़की होना, परंतु लड़की जैसे दिखाई मत देना" अर्थात लड़कियों जैसा कोमल स्वभाव,गुण, सौन्दर्य,आदि ग्रहण करना परंतु निर्बलता एवं भोलापन धारण मत करना। थता माँ ने यह भी कहा कि अपने सौंदर्य व कोमलता की तारीफ सुन कमज़ोर मत हो जाना। इन सीखों से यह प्रतीत होता है कि माँ यह सब अनुभव कर चुकी थी थता अपनी बेटी को इन सब से बचाना चाहती थी।
4. लड़की की विदाई के समय माँ लड़की को सीख देते हुए कहती है "लड़की होना, परंतु लड़की जैसे दिखाई मत देना"। यहां पर लड़की जैसे दिखाई ने देने का आशय निर्बलता एवं भोलेपन को धारण न करने से है।
आशा करता हूँ की मेरे उत्तरों से आपके सभी प्रश्नों का हल आपको मिल होगा। धन्यवाद।
2. संगतकार हर कार्य मे बिना सामने आकर उस कार्य को सफल बनाने में सहायता प्रदान करता है। वह मुख्य गायक के तारसप्तक के समय गला बैठ जाने पर सुर सम्हालता है, जैसे उनका बिखरा हुआ समान सम्हाल रहा हो। वह उनके आलाप के दौरान सुरो के तानो में खो जाने पर मुख्य स्वर निकालकर उन्हें बाहर लाता है तथा जब मुख्य गायक का उत्साह कम होने लगता है तब उन्हें सहानुभूति एवं सांत्वना प्रदान करता हैं।
3. विदाई के समय माँ ने अपनी बेटी को यह सीख दी कि "लड़की होना, परंतु लड़की जैसे दिखाई मत देना" अर्थात लड़कियों जैसा कोमल स्वभाव,गुण, सौन्दर्य,आदि ग्रहण करना परंतु निर्बलता एवं भोलापन धारण मत करना। थता माँ ने यह भी कहा कि अपने सौंदर्य व कोमलता की तारीफ सुन कमज़ोर मत हो जाना। इन सीखों से यह प्रतीत होता है कि माँ यह सब अनुभव कर चुकी थी थता अपनी बेटी को इन सब से बचाना चाहती थी।
4. लड़की की विदाई के समय माँ लड़की को सीख देते हुए कहती है "लड़की होना, परंतु लड़की जैसे दिखाई मत देना"। यहां पर लड़की जैसे दिखाई ने देने का आशय निर्बलता एवं भोलेपन को धारण न करने से है।
आशा करता हूँ की मेरे उत्तरों से आपके सभी प्रश्नों का हल आपको मिल होगा। धन्यवाद।
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