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पथ भूल न जाना पथिक कहीं
पथ में कांटे तो होंगे ही
दुर्वादल सरिता सर होंगे
सुंदर गिरि वन वापी होंगे
सुंदरता की मृगतृष्णा में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।
जब कठिन कर्म पगडंडी पर
राही का मन उन्मुख होगा
जब सपने सब मिट जाएंगे
कर्तव्य मार्ग सन्मुख होगा
तब अपनी प्रथम विफलता में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।
पथिक क्यों भटक सकता है ?
A. जानकारी के अभाव में
B. थकान के कारण
C. सुंदरता के कारण
D. जंगल के घनेपन के कारण
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Answer:
(c). सुन्दरता के कारण.
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पथिक विकल्प C सुंदरता के कारण भटक सकता है।
प्रसंग:
- कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कहना चाहते है कि हमारे लक्ष्य तक पहुँचने के रास्ते में कई बाधाएँ और बाधाएँ हैं, जबकि इस रास्ते पर कई खूबसूरत नज़ारे हैं जो हमें आकर्षित करते रहते हैं, लेकिन हम अभी भी उनकी सुंदरता के भ्रम में या मिराज में हैं।
- हमें अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ना बंद नहीं करना चाहिए।
व्याख्या:
- खोज में यात्री के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। राही का मन कई बार तनाव से घिरे रहने से दुखी हो सकता है।
- जब उसकी कल्पना मात्र मृगतृष्णा बन जाती है। उसके सामने केवल कर्तव्य का मार्ग रहता है।
#SPJ3
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