Hindi, asked by janhvitripathi937, 9 days ago

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Answered by yashurajput881355
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Explanation:

शब्दार्थ-

लुब्धस्य-लालची का (Greedy)।

पिशुनस्य – चुगलखोर की (Backbiter)।

नष्टक्रियस्य – जिसकी क्रिया नष्ट हो गई है।

व्यसनिन: – बुरी लत वाले का।

सौख्यम् – सुख।

प्रमत्त० – प्रमाद से युक्त (Idle)

नराधिपस्य – राजा का।

नश्यति – नष्ट हो जाता है।

मैत्री – मित्रता।

अर्थपरस्य – जो धन को अधिक महत्त्व देता गई है।

कृपणस्य – कंजूस व्यक्ति का (Miser)।

राज्यम् – राज्य।

सचिव० – मंत्री।

सरलार्थ –

लालची (व्यक्ति) का यश, चुगलखोर की मित्रता, जिसके कर्म नष्ट हो गए हैं (अकर्मण्य) उसका कुल, धनपरायण (धन को अधिक महत्त्व देने वाले व्यक्ति) का धर्म, बुरी लत वाले का विद्या का फल, कंजूस का सुख तथा जिसके मंत्री प्रमाद से पूर्ण हैं ऐसे राजा का राज्य नष्ट हो जाता है।

next shlok ka arth

किसी वन में खरनखर नामक सिंह रहता था। वह भोजन की खोज में घूम रहा था। सायंकाल एक विशाल गुफा को देख कर उसने सोचा-‘इस गुफा में रात में अवश्य कोई प्राणी आता है। अतः यहाँ छिप कर बैठता हूँ।

next question ka answer

क) वयं कस्य राज्यानां विषये ज्ञातुमिच्छामि?

(ख) काः प्राचीनेनिहासे प्रायः स्वाधीनाः एव दृष्टाः?

(ग) प्रदेशेऽस्मिन् केषाम् बाहुल्यं वर्तते?

(घ) एतानि राज्यानि तु भ्रमणार्थं कीदृशाणि?

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