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Explanation:
विद्यालयों के अंदर और बाहर सभी स्थानों में छात्रों की अनुशासनहीनता से आतंक-सा व्याप्त हो गया है। समाज इस अनुशासनहीनता से त्रस्त और भयभीत हो उठा है तथा सामाजिक नेतृत्व के भविष्य पर एक बड़ा-सा प्रश्न-चिन्ह लग गया है। सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक सभी क्षेत्र छात्रों की अनुशासनहीनता से आतंकित हो उठे है।
वस्तुत: यह अनुशासनहीनता जहां राष्ट्र के भावी नेतृत्व के निर्माण-मार्ग की बाधा है, वहीं हमारे महान् गणतंत्र के लिए बहुत घातक भी। अत: हमारे लिए इस बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के मूल कारणों पर विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है।
अनुशासनहीनता के कारण
अनुशासहीनता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं—(1) व्यक्तिगत कारण (2) सामाजिक कारण (3) राजनीतिक कारण (4) शैक्षिक कारण (5) मनोवैज्ञानिक कारण।
(1) व्यक्तिगत कारण
(i) शारीरिक व मानसिक स्वीकृति- शारीरिक रूप से विकृत व मानसिक रूप से पिछड़े छात्र अनुशासन की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। कोई कुरूप, शारीरिक रूप से पुष्ट छात्र अन्य छात्रों को पीट सकता है। वे बच्चे जो मानसिक रूप से अविकसित हैं भी अनुशासन की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं क्योंकि उन्हें अपनी शक्ति को खर्च करने का पर्याप्त साधन नहीं मिलता है।
(ii) बौद्धिक वरिष्ठता या निकृष्टता- बौद्धिक रूप से पिछड़े छात्रों की हँसी उड़ाई जाती है, डाँटा जाता है। इससे वे छात्र सबके साथ द्वेषपूर्ण व्यवहार करने लगते हैं, जो Superior होते हैं, वे अपने ऊपर अभिमान करके शिक्षक को भी नजरअंदाज करते हैं।
(iii) किशोरवास्था के संवेग- इस अवस्था में छात्रों में अतिरिक्त ऊर्जा होती है जिसको यदि उचित मार्गदर्शन न दिया जाये तो अनुशासन की समस्या उत्पन्न कर सकती है।
(iv) छात्रों की बुरी आदतें- कुछ छात्रों में सामाजिक या घरेलू कारणों से कुछ बुरी आदतें हैं; यथा–चोरी, झूठ बोलना, विद्यालय से भाग जाना, विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाना आ जाती है। ये छात्र अनुशासन की समस्या पैदा कर देते हैं।
(2) सामाजिक कारण
घर का वातावरण- घर के वातावरण से ही बालक चरित्र का निर्माण होता है। अशान्त वातावरण में पला बालक अशान्ति के अलावा और कुछ नहीं सीख सकता है। वह जहाँ जायेगा अशान्तिं ही पैदा करेगा। ऐसे घरों के बच्चे अनुशासन के लिए बड़ी समस्या पैदा करते हैं।