Please!! if you can make a Hindi poem on visheshan it would be a great pleasure !!
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ना ऊँचाई, ना गहराई
शायद हम जान ही ना पाये
रिश्तों की छुअन का अह्सास
धुमिल सा हर पल हमें लगा
याद नहीं कोइ पल जब
उदास हुए हों किसी के लिये हम
तुम कह्ते हो तुमने हमे ही देखा ख्वाबों मे
हमे तो तुम्हारी सूरत भी नही पता
तुम कह्ते हो हमीं ने तुम्हे सुहाना बनाया
शायद बहक गये हैं तुम्हारे ये हंसी खयाल
कि बस तुम्हे हमारा ही है खयाल
रिश्ता कोई भी नही, कहीं भी नही
कैसी भी नही है नरमी
फिर क्यों है सांसो मे तुम्हारी चहलकदमी
ना जाने तुम कहाँ हो
ना जाने मैं कहाँ हूँ
दोनों दो किनारे हों शायद दरिया के
फिर क्यों कहते हो
हम कभी मिले थे
क्यों लगता है तुम्हे कि
मैं कुछ कहती हूँ तुम्हारे कानो में
सोचती हूँ तुम्ही को
नही मैं तुम्हे नही जानती क्योंकि
ना ऊँचाई ना गहराई
रिश्तों मे ये विशेषण सूझे ही नही
शायद तुम ख्वाब हो
या खयाल हो
नही तो कुछ भी नही, मेरा भ्रम हो