Please it is very urgent ! My exam is tomorrow. What is the meaning of - गोधन गजधन बाजिधन अौर रतनधन खान । जब आवत संतोष सब धन धरि समान
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गोधन ,गज धन ,वाजिधन और रतनधन खान ।
जब आए संतोष धन ,सब धन धूरि समान ।
यह तुलसीदास जी का दोहा है | इसका अर्थ है :-
मनुष्य के जीवन में सुख और शांति की शुरुआत संतोष की नीव पर ही होती है । जब तक व्यक्ति के मन में संतोष नहीं आता तब तक वह सुख का अनुभव कर ही नहीं सकता । व्यक्ति के पास जो कुछ भी अपना है या अपने पास है, उसी में सुख का अनुभव करना संतोष कहलाता है । मानव की अभिलाषा अनंत है। व्यक्ति उन्हें पाने के लिए प्रयास करता है। इस प्रकार एक के बाद दूसरी इच्छा जन्म लेती है तथा मनुष्य महत्वाकांक्षी हो जाता है। महत्वाकांक्षी व्यक्ति कभी सुखी हो ही नहीं सकता । वह सदैव तनावपूर्ण जीवन जीता हुआ बीमारियों का शिकार होता है । इस तरह संतोष के बिना सुख संभव नहीं होता । बढती महत्त्वाकांक्षा के साथ अपराध बढते है - जैसे कि चोरी ,डकैती, तस्करी एवं भ्रष्टाचार । जहाँ संतोष है वहाँ लालच का कोई स्थान नहीं ।