Hindi, asked by Rounitbarnwal1324, 1 month ago

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Answered by jogikul
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अशोक चक्रधर...

बस में थी भीड़

और धक्के ही धक्के,

यात्री थे अनुभवी,

और पक्के।

पर अपने बौड़म जी तो

अंग्रेज़ी में

सफ़र कर रहे थे,

धक्कों में विचर रहे थे ।

भीड़ कभी आगे ठेले,

कभी पीछे धकेले ।

इस रेलमपेल

और ठेलमठेल में,

आगे आ गए

धकापेल में ।

और जैसे ही स्टाप पर

उतरने लगे

कण्डक्टर बोला-

ओ मेरे सगे !

टिकिट तो ले जा !

बौड़म जी बोले-

चाट मत भेजा !

मैं बिना टिकिट के

भला हूं,

सारे रास्ते तो

पैदल ही चला हूं ।

Explanation:

डॉ॰ अशोक चक्रधर हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है

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