Hindi, asked by davpwn8c15, 3 months ago

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Answered by rk988929
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मै घर के बगीचे में बैठा हुआ था | शाम का समय था | आकाश पर काले काले बादल छाए हुए थे | उमड़ते घुमड़ते बादलो के बीच से लम्बी कतार में पक्षी उड़ रहे थे | आकाश में सजी ये वन्दनवार देखकर कवि कालिदास के मेघदूत की वे पंक्तिया स्मरण हो आयी , जहां उन्होंने इन बादलो एवं पक्षियों के रूप पर मुग्ध होकर अनेक श्लोक रच डाले थे | तभी मेरे मन में विचार आया “यदि मैं पक्षी होता” |

यदि मै पक्षी होता तो स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवन यापन करता | धरती का हर कोना , आकाश की समस्त दूरियाँ और क्षितिज सब मेरे होते | मै सुबह से शाम यत्र तत्र भ्रमण करता | हरे-भरे पहाड़ो पर यात्रा करता ,ऊँचे ऊँचे वृक्षों पर अपने घोंसले बनाता , बहते हुए झरनों , कल-कल करती नदियों का जल पीता | प्रकृति की उस सुन्दरता का आनन्द लेता जिसका दर्शन भी मनुष्य नही कर पाया है या जहां उसका हस्तक्षेप नही हुआ है |

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