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पहले प्रकरण के पंक्तियो से कवी हमे यह समझते है की कभी भी हमे अपने काम को कठिन नही कहना चाहिये।हमे अपनी शम्ता पर संदेह नही करना चाहिये। हम अगर चाहे तो हर काम कर सकते है।
दुसरे प्रकरण मे कवी कहते है और अगर काम कठिन नही है तो हमे उससे डरनै की क्या जरुरत है। अगर तुमको मंज़िल तक जाना ही है तो उसै डरने की जरुरह क्या है।
तीसरे प्रकरण साई कवी हमे सम्बोदीथ करते हुए कहते है , की अगर हम मेहनत करते रहेंगे तो हमरी हर मुश्किल असान होजेगी। फिर कवी एक उधारन देते हुए कहते है की सागर से मोती निकलने के लिये भी सागर मे डूब कर उसै धुंधना परता है।
अखरी प्रकरण मे कवी सबको प्रेरित करते हुए सबको कमर कस्ने को कहते है।और कहते है की हमे कठिनाई का स्वागत करना चाहिए।
जो व्यक्ति हस्कर इस सच्चाई को स्वीकार करता है, वही अपनी माँ का सच्चा पुत्र हैं।
please mark it as brainliest done much hardwork.
दुसरे प्रकरण मे कवी कहते है और अगर काम कठिन नही है तो हमे उससे डरनै की क्या जरुरत है। अगर तुमको मंज़िल तक जाना ही है तो उसै डरने की जरुरह क्या है।
तीसरे प्रकरण साई कवी हमे सम्बोदीथ करते हुए कहते है , की अगर हम मेहनत करते रहेंगे तो हमरी हर मुश्किल असान होजेगी। फिर कवी एक उधारन देते हुए कहते है की सागर से मोती निकलने के लिये भी सागर मे डूब कर उसै धुंधना परता है।
अखरी प्रकरण मे कवी सबको प्रेरित करते हुए सबको कमर कस्ने को कहते है।और कहते है की हमे कठिनाई का स्वागत करना चाहिए।
जो व्यक्ति हस्कर इस सच्चाई को स्वीकार करता है, वही अपनी माँ का सच्चा पुत्र हैं।
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GENIUS1223:
thasnks'
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