Social Sciences, asked by siri978, 1 year ago

please send me a short para on pollution in Hindi

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Answered by NeverMind11
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प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है । प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं ।

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है । प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।

वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं । जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है । वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं । लेकिन ये दोनों ही वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं ।



Answered by KrishnaBirla
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भूमिका : मनुष्य प्रकृति की एक सर्वश्रेष्ठ रचना है। जब तक मनुष्य प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करता है तब तक उसका जीवन सभी और सहज बना रहता है। लेकिन विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ पर कुछ वरदान मिले हैं वहीं पर अभिशाप भी दिए हैं।


प्रदुषण का अर्थ एवं स्वरूप : प्रदुषण का अर्थ होता है – गंदगी या प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। स्वच्छ वातावरण में ही जीवन का विकास संभव होता है। जब हमारे वातावरण में कुछ खतरनाक तत्व आ जाते हैं तो वे वातावरण को दूषित कर देते हैं। यह गंदा वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए अनेक तरह से हानिकारक होता है।


प्रदूषण के प्रकार : प्रदुषण कई तरीकों से हानिकारक होता है। प्रदुषण कई तरह का होता है।

1. वायु प्रदुषण :- वायु हमारे जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्त्रोत होती है। जब वायु में हानिकारक गैसें जैसे कार्बन-डाई-आक्साइड और कार्बन-मोनो-आक्साइड मिलते हैं तो वायु को प्रदूषित कर देते हैं इसे ही वायु प्रदुषण कहते हैं। बहुत से कारणों से जैसे- पेड़ों का काटा जाना , फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदुषण होता है।

2. जल प्रदुषण : जल के बिना किसी भी प्रकार से जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जब इस जल में बाहरी अशुद्धियों की वजह से दूषित हो जाता है इसे ही जल प्रदुषण कहते हैं। जब बड़े-बड़े नगरो और शहरों के गंदे नालों और सीवरों के पानी को नदियों में बहा दिया जाता है और यही पानी हम पीते हैं तो हमें हैजा, टाइफाइड , दस्त जैसे रोग हो जाते हैं।

3. ध्वनी प्रदुषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण की जरूरत होती है। ध्वनी प्रदुषण एक नई समस्या उत्पन्न हो चुकी है। जब वाहनों , मोटर साइकिलों , डीजे , लाउडस्पीकर , कारखानों साइरन की वजह से जो शोर होता है उसे ध्वनी प्रदुषण कहते हैं। ध्वनी प्रदुषण की वजह से हमारी सुनने की शक्ति कमजोर होती है। कई बार ध्वनी प्रदुषण से मानसिक तनाव की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। ध्वनी प्रदुषण एक अत्यंत हानिकारक समस्या है और इसका निवारण नितांत आवश्यक है।

4. रेडियो धर्मी प्रदुषण : परमाणु परिक्षण लगातार होते रहते हैं। इससे जो प्रदुषण होता है उसे रेडियोधर्मी प्रदुषण कहते हैं। यह एक बहुत ही हानिकारक प्रदुषण होता है जिसकी वजह से अनेक तरह से जीवन को हानि होती है। दुसरे विश्वयुद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी पर जो परमाणु बम्ब गिराए गये थे उनके गंभीर परिणामों को आज के समय में भी देखा जा सकता है।

5. रासायनिक प्रदुषण : जब कृषि उपज में कारखानों से बहते हुए अशुद्ध तत्वों के आलावा अनेक तरह के रासायनिक उर्वरकों और डीडीटी जैसी हानिकारक दवाईयों का प्रयोग किया जाता है। इन सब का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है इसे ही रासायनिक प्रदुषण कहते हैं।



प्रदुषण के कारण : कल-कारखानों , वैज्ञानिक साधनों का प्रयोग , फ्रिज , कूलर , वातानुकूल , उर्जा संयंत्र आदि सभी की वजह से प्रदुषण अधिक बढ़ता है। प्राकृतिक संतुलन के बिगड़ने की वजह से भी प्रदुषण होता है। जब वृक्षों की अँधा-धुंध कतई की जाती है तब भी प्रदुषण की मात्रा में वृद्धि होती है।


उपसंहार : सामाजिक जागरूकता से प्रदुषण की मात्रा को कम किया जा सकता है। प्रचार माध्यमों से प्रदुषण से संबंधित संदेशों को लोगों तक पहुंचाना चाहिए। हमारे द्वारा किये गये सामूहिक प्रयासों से ही प्रदुषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। जितना हो सके उतना प्रदुषण को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।
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