Hindi, asked by hhhhhhhhh55, 3 months ago

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Answered by AnweshaRay
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2.भगवान कृष्ण सूर्य की किरण उगने से पहले उठते थे। और और स्नान करके गायत्री मंत्र का जाप करते थे। तथा यज्ञ करते थे

3.सूर्य को निहारना स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से बहुत फायदेमंद है। सूरज की किरणों से हमारी त्‍वचा को ऊर्जा मिलती है जो शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसलिए चिकित्‍सक भी धूप सेंकने की सलाह देते हैं।

4.सवाल का जवाब स्वामी जी भी न दे पाए। नपुंसक गर्भ का कारण बताते हुए उन्हें कर्मफल की अवधारणा से हटना पड़ा। वह कहते हैं

"जो स्त्री के शरीर धारण करने योग्य कर्म हों तो स्त्री और पुरूष के शरीर धारण करने योग्य कर्म हों तो पुरूष के शरीर में प्रवेश करता है। और नपुंसक गर्भ की स्थिति समय स्त्री पुरूष के शरीर में सम्बन्ध करके रज वीर्य के बराबर होने से होता है। (सत्यार्थ., पृ.171)

स्वामी जी ने औरत और मर्द का शरीर मिलने के लिए तो जीव के कर्म को ज़िम्मेदार माना है लेकिन नपुंसक शरीर मिलने के लिए जीव के कर्म के बजाय पति-पत्नी के रज-वीर्य को ज़िम्मेदार माना है। ऐसा मानना कर्मफल की अवधारणा के विपरीत तो है ही, जीव विज्ञान के प्रमाणित तथ्य के विपरीत भी है।

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