Hindi, asked by ramankumarvirdi67, 9 months ago

Please solve it. No spammmmm. otherwise you will be reported .​

Attachments:

Answers

Answered by gauravadhikari19
2

Answer:

कल्पना जीवन को महत्व देने का श्रेष्ठ माध्यम है। रस, माधुर्य, स्नेह, लालित्य भाव सभी कल्पना से जुड़े हैं। जीवन वर्तमान है, स्मृति अनुभव है और कल्पनाशक्ति व्यक्ति की योजनशक्ति है। आज के कार्यो में पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान को कैसे संजोया जाए, इसके लिए कल्पनाशीलता आवश्यक है। व्यावहारिक भाषा में इसे स्वप्न देखना भी कहा जा सकता है। स्वप्ननिजी धरातल के भी हो सकते हैं, कार्यक्षेत्र के भी और जीवन के किसी भी क्षेत्र के। जो स्वप्न देखेगा, वही कल्पनाशीलता के सोपान पर चढ़ते हुए श्रम-साधना द्वारा लक्ष्य की प्राप्ति कर पाएगा।

वर्तमान प्रबंधन व्यवस्था में योजन शब्द का अर्थ भी कल्पना ही है। परिणाम तो किसी के हाथ में नहीं है, प्रयास करना हमारे वश में है। लक्ष्यानुरूप प्रयास करने की दिशा तय करना कल्पनाशक्ति का ही कार्य है। कल्पनाशीलता से ही योजना का प्रारूप निर्मित करने में सहायता मिलती है। भावी दृष्टिकोण उसमें समाहित रहता है, व्यक्ति के मानस को झकझोर कर जीवन को उचित दिशा में प्रवृत्त करना कल्पनाशीलता द्वारा ही संभव है। सामान्य तथ्य है कि स्मृति बंधन है। स्मृति के कारण कई बार व्यक्ति वर्तमान के सकारात्मक पक्षों की भी उपेक्षा करते हुए स्मृतियों में ही खोया रहता है, उपलब्धि कुछ नहीं होती। जीवन के सभी क्षेत्रों में लक्ष्य बनाने का कार्य, कार्य के साथ पूर्ण मनोयोग और स्मृति से मुक्त रहने का मार्ग कल्पना प्रशस्त करती है। भाव यदि नकारात्मक हैं तो मन में अनेक संशय, आवेग और तनाव भी कल्पना द्वारा उत्पन्न होते हैं। अत: नकारात्मकता युक्त कल्पना पर नियंत्रण करना अत्यावश्यक है। वैयक्तिक और सामाजिक दोनों ही धरातलों पर हम अपने ज्ञान और अनुभवों को साथ रखकर अपने भावी जीवन को नया मोड़ दे सकते हैं। कल्पनाशीलता का सबसे उ”वल पक्ष यह है कि यह सदा व्यक्ति को आशावान बनाती है, इसके द्वारा मनोमस्तिष्क में भावी योजना का मानचित्र तैयार होता है

Hope it helped you like this and follow me

mark it as a brainliest answer too......

Similar questions