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पीटी मास्टर प्रीतम चंद बहुत सख्त स्वभाव और अनुशासन में रहने वाले इंसान थे। वह छोटी से छोटी गलती पर भी बच्चों को बुरी तरह मारते थे। बच्चों ने उन्हें कभी भी हंसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। बच्चे उनसे बहुत डरते थे कि पता नहीं कब खाल खींचने वाला मुहावरा दिखाई दे। बच्चों को स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती थी तो वह बच्चों को शाबाश कहते थे।
क्योंकि अपने मायके में वह खूब दूध घी और दही खाती थी लेकिन लखनऊ आकर वह इसके लिए जैसे तरह ही गई थी।
हेड मास्टर जी ने पिटी साहब को क्यों मुअत्तल कार दिया । पीटी साहब चौथी कक्षा को फ़ारसी भी पढ़ाते थे। एक दिन बच्चे उनके द्वारा दिया गया शब्द-रूप रट कर नहीं आए। इस पर उन्होंने बच्चों को पीठ ऊँची करके क्रूरतापूर्ण ढंग से मुर्गा बनने का आदेश दिया, तो उस समय वहाँ हेडमास्टर साहब आ गए। यह दृश्य देखकर हेडमास्टर उत्तेजित हो उठे। इसी कारण उन्होंने पीटी साहब को मुअत्तल कर दिया।