please someone write the summary of this poem in hindi.
माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति
बिना मांगे हमें कितना कुछ देती जाती है प्रकृति…..
दिन में सूरज की रोशनी देती है प्रकृति
रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति……
भूमिगत जल से हमारी प्यास बुझाती है प्रकृति
और बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति…..
दिन-रात प्राणदायिनी हवा चलाती है प्रकृति
मुफ्त में हमें ढेरों साधन उपलब्ध कराती है प्रकृति…..
कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखे हैं इसने
कहीं पर्वत खड़े किए तो कहीं नदी बहा रखे हैं इसने…….
कहीं गहरे खाई खोदे तो कहीं बंजर जमीन बना रखे हैं इसने
कहीं फूलों की वादियाँ बसाई तो कहीं हरियाली की चादर बिछाई है इसने.
मानव इसका उपयोग करे इससे, इसे कोई ऐतराज नहीं
लेकिन मानव इसकी सीमाओं को तोड़े यह इसको मंजूर नहीं……..
जब-जब मानव उदंडता करता है, तब-तब चेतवानी देती है यह
जब-जब इसकी चेतावनी नजरअंदाज की जाती है, तब-तब सजा देती है यह….
विकास की दौड़ में प्रकृति को नजरंदाज करना बुद्धिमानी नहीं है
क्योंकि सवाल है हमारे भविष्य का, यह कोई खेल-कहानी नहीं है…..
मानव प्रकृति के अनुसार चले यही मानव के हित में है
प्रकृति का सम्मान करें सब, यही हमारे हित में है
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Answer:
बागों में जब बहार आने लगे,
कोयल अपना गीत सुनाने लगे,
कलियों में निखार छाने लगे,
भँवरे जब उन पर मंडराने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
खेतों में फसल पकने लगे,
खेत खलिहान लहलाने लगे,
डाली पे फूल मुस्काने लगे,
चारों ओर खुशबू फैलाने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
आमों पे बौर जब आने लगे,
पुष्प मधु से भर जाने लगे,
भीनी-भीनी सुगंध आने लगे,
तितलियाँ उनपे मंडराने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
सरसों पर पीले पुष्प दिखने लगे,
वृक्षों में नई कोंपले खिलने लगे,
प्रकृति सौंदर्य छटा बिखेरने लगे,
वायु भी सुहानी जब बहने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
धूप जब मीठी लगने लगे,
सर्दी कुछ कम लगने लगे,
मौसम में बहार आने लगे,
ऋतू दिल को लुभाने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!
चाँद भी जब खिड़की से झाँकने लगे,
चुनरी सितारों की झिलमिलाने लगे,
योवन जब फाग गीत गुनगुनाने लगे,
चेहरों पर रंग अबीर गुलाल छाने लगे,
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया!!