Hindi, asked by parisharma19156, 8 months ago


please tell friends............
please please .......


- प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति
की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यग्य लिखिए।

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

अपने मनपसंद के कपड़े पहनना सबकी अपनी पसंद होती है। कोई कुछ भी पहने इस पर किसी को कुछ कहने का हक तो नहीं है परंतु पोशाक की विचित्रता पर हंसी तो आ ही जा सकती है। मेरे पड़ोसी लगभग 80 वर्ष के हैं; दुकानदार है और वर्षों से यहीं रह रहे हैं। उनकी पीली पैंट पर भड़कीली लाल कमीज और सिर पर हरी टोपी तुरंत सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। पता नहीं उनके पर इस तरह के रंग बिरंगे पोशाके कितनी है पर जब जब वह बाहर जाते हैं सड़क पर चलती फिरती होली के रंगों की बहार लगते हैं। जो भी उन्हें पहली बार देखता है वह तो बस उनकी और देखता ही रह जाता है पर इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ता।

PLEASE MARK AS BRAINLIEST ANSWER

Answered by Anonymous
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व्यक्तित्व से मिलती जुलती पोशाक और हमारे चाचा जी का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है।कहने को तो वह शहर के नामी गिरामी डॉक्टर है लेकिन उनके अदर अमीरों जैसी कोई बात ही नहीं है। चाहे मीटिंग हो या उनका अपना हॉस्पिटल, वे साधारण कपड़ों में ही सारी जगहों पर जाते हैं। उन्हें इस बात से बिलकुल फर्क नहीं पड़ता की चार लोग आएंगे और उनका मजाक उड़ाएंगे जिस तरह वे अमीरों से बात करते है ठीक उसी तरह वे अपने से नीचे अर्थात गरीब लोगों से मिलते जुलते है। कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें जीवन जीने का सलीका नहीं है लेकिन वास्तव में असली जीवन तो उन्हीं जी रहे है। उन्होंने यह सिद्ध किया है कि एक आदर्श व्यक्ति का जीवन कैसा होना चाहिए।वह भले ही पोशाक से डॉक्टर ना लगते हो लेकिन वह एक आदर्श मानव की कसौटी पर खरे उतरते हैं।

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