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प्रिय भाई,
स्नेह!
कल ही मुझे तुम्हारे दोस्त का पत्र मिला।पत्र के माद्यम से यह जान कर मुझे अत्यंत दुःख हुआ की तुम्हारा पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लग रहा।तुम हर वक्त शैतानी करते रहते हो।तुम अपने इस व्यव्हार को बदल लो । यह बिलकुल भी ठीक आदत नहीं है।आशा करती हूँ तुम मेरी बात को सही तरीके से समझोगे और अच्छे से पढ़ाई करके अच्छे अंक ला कर मम्मी- पापा का नाम रोशन करोगे
तुम्हारी भाई
Explanation:
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18, जीवन नगर,
गाजियाबाद।
दिनांक 19 मार्च, 20XX
प्रिय कुसुमलता,
शुभाशीष।
आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी।
प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ हैं, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आजादी का तुम दुरुपयोग मत करना।
बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले।
यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना। मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा भाई,