History, asked by saloniyadev, 1 year ago

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Answered by rubisharma84
9

स्वास्थ्य और व्ययाम

     स्वस्थ तन-मन के बिना जीवन बोझ – जीवन एक आनंद है | इस आनंद का अनुभव वाही कर सकता है, जिसका तन और मन दोनों स्वस्थ हो तो मन स्वयं स्वस्थ रहता है | अगर तन-मन स्वस्थ न हों तो जीवन में कोई रन नहीं रहता | ऐसा जीवन व्यर्थ का बोझ बन जाता है |

     अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित कार्यक्रम – अच्छे स्वास्थ्य के लिए तन और मन दोनों का व्ययाम अपेक्षित है | तन के व्यायाम के लिए चाहिए खेल-कूद, योगासन आदि | मन के व्यायाम के लिए अपेक्षित है अच्छे सहिस्य का पठन-पाठन और सत्संगति | अच्छे विचारों और भावों के संपर्क में रहने से मन का व्यायाम होता है |

     शरीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम – शरीरक स्वास्थ्य का अर्थ है – शरीर को निरोग और सुद्रढ़ बनाना | जब शरीर में कोई बीमारी नहीं होती तो वह ठीक अपने स्वाभाविक स्वरूप में होता है | इसके लिए नित्य व्यायाम करना आवयशक है | व्यायाम करने के अनेक ढंग हो सकते हैं | कबड्डी, खो-खो, हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेबल टेनिस आदि मान्यता-प्राप्त खेल हैं | कुश्ती, जुडो-कराटे, मलखंभ, तैराकी अन्य प्रकार के खेल हैं | कुछ खेल गली-मोहल्लों में खेले जाते हैं, जैसा लुका-छिपी, पिट्ठू बनाना आदि | ये सब खेल शरीर को क्रियाशील रखने के ही प्रकार हैं | प्राय: लडकियाँ रस्सी कूदना जैसा व्यायाम में रूचि लेती हैं |उपर्युक्त शरीरिक क्रियाओं से शरीर के सभी मल दूर हो जाते हैं | पसीना निकलता है | खून का दौरा तीव्र होता है | त्वचा के सभी बंद रंध्र खुल जाते हैं | शरीर हल्का प्रतीत होने लगता है |उसमें रोगों से लड़ने को शक्ति बढ़ जाति है |

     मानसिक स्वास्थ्य और व्यायाम – मन को स्वस्थ रखने का आशय है – अपने प्रेम, उत्साह, करुणा आदि भावों को स्वाभाविक बनाए रखना | उन्हें घ्रणा, द्वेष या निंदा में न फँसने देना | इसके लिए सत्साहित्य पढ़ना चाहिए | महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए | शरीरिक रूप से स्वस्थ रहने पर मन भी अपने स्वाभाविक रूप में बना रहता है | अतः शरीरिक व्यायाम मन को शक्ति प्रदान करते हैं |

     स्वास्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज का निर्माण – जिस समाज के व्यक्ति स्वस्थ होते हैं, वह समाज भी स्वस्थ बनता है | एसा समाज बुराइयों से लड़ पाता है, अन्याय का विरोध कर पाता है | ऐसा समाज ही प्रेम और करुणा का परिचय दे पाता है | यही कारण है कि अस्वस्थ शरीर वाले नगरीय समाज में चोरी और गुंडागर्दी की घटनाएँ अधिक होती हैं | गाँव के स्वस्थ लोग गाँव में घुसे शत्रुओं का एकजुट होकर मुकाबला करते हैं |


saloniyadev: awesome
rubisharma84: thanks
Answered by Anonymous
4
Hola User______________

Here is Your Answer......!!!!!
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Actually Apka swagat hai .....Hindi Nibandh aur Swathay ka jivan mein Mahatva..

... इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति हर समय किसी न किसी रोग से घिरा ही हुआ है। उन रोगों से बचने के लिए हर कोई व्यक्ति डॉक्टर या चिकित्सक के पास जाता है। परंतु उनमें से सभी डॉक्टर और चिकित्सक उस रोग या बीमारी को तो ठीक कर देते हैं परंतु स्वास्थ्य को कोई भी सही नहीं करता। अपने स्वास्थ्य को अच्छे से रखना का एक ही रास्ता है और वह है व्यायाम। जो लोग व्यायाम और योग करते हैं वह लोग कभी भी आसानी से बीमार नहीं पड़ते हैं। रोग मात्र दुर्बल शरीर पर आक्रमण करता है और व्यायाम करने वाला व्यक्ति हमेशा तंदुरुस्त और शक्तिशाली रहता है। इसीलिए बीमारी या रोग से बचने का एकमात्र समाधान है व्यायाम।

प्रतिदिन व्यायाम करने से मनुष्य का मन उत्साहित रहता है और शरीर को शक्ति तथा स्फूर्ति मिलती है। अगर हम व्यायाम की तुलना डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली दवाइयों,  विटामिन सिरप और इंजेक्शन के साथ करें तो सब व्यर्थ है। एक बड़े चिकित्सक का कथन है कि जो डॉक्टर दवाइयों पर ज्यादा भरोसा किए बिना अपने रोगी का स्वास्थ्य सुधार दे वही सबसे बुद्धिमान और अच्छा डॉक्टर कहलाता है। बड़े-बड़े शोधकर्ताओं का कहना है की आज के युग में मनुष्य रोगों से कम और दवाइयों के कारण ज्यादा मर रहे हैं।  इस से साफ पता चलता है की मनुष्य को दवाइयों से नहीं व्यायाम और योग जैसी क्रियाएं करके अपने स्वास्थ्य को मजबूत .......

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Hope this helps u.......☺


saloniyadev: nice
Anonymous: fine..☺
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