Hindi, asked by vikrant1822, 1 year ago

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Answered by Anonymous
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आधुनिक युग विज्ञान का युग है । समस्त क्षेत्रों में विज्ञान पूर्णत: व्याप्त है । विज्ञान के आविष्कारों ने सभी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कहीं न कहीं प्रभावित किया है ।

यह विज्ञान के आविष्कारों की ही देन है जिससे संपूर्ण विश्व की दूरी सिमटती जा रही है । सुई से लेकर हवाई जहाज तक सभी उपकरण विज्ञान की देन हैं । दूरदर्शन अथवा टेलीविजन विज्ञान की ही अनुपम देन है । दूरदर्शन जनमानस में इस तरह घुल-मिल गया है कि यह आज जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है ।

दूरदर्शन का आविष्कार 1944 ई॰ में अमेरिका के महान वैज्ञानिक जे. एल. बेयर्ड ने किया था । इसके पश्चात् धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता चला गया । विश्व में शायद ही कोई ऐसा देश हो जहाँ दूरदर्शन स्थापित नहीं हो पाया हो । भारत में भी इसका प्रचार-प्रसार तीव्रता से हो रहा है । आज भारत के शहरों व महानगरों में ही नहीं अपितु ग्रामीण अंचलों में भी दूरदर्शन सेट उपलब्ध हैं ।

दूरदर्शन में वाणी तथा सचल चित्रों की मौजूदगी ने इसे जन-जन के लिए मनोरंजन का ही नहीं अपितु शिक्षा का भी उत्तम माध्यम बना दिया है । भारत के प्रथम दूरदर्शन केंद्र की स्थापना 1959 ई॰ में दिल्ली में हुई थी । आज मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि प्रमुख शहरों व अनेक उपनगरों में दूरदर्शन केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं । इसका विस्तार दिन-प्रतिदिन और भी तीव्रता से हो रहा है ।

मनुष्य अपने व्यस्ततापूर्ण जीवन से स्वयं के लिए समय निकालने में कठिनाई का अनुभव कर रहा है । दिन की भाग-दौड़ के पश्चात् जब वह घर वापस लौटता है तब उसे मनोरंजन की आवश्यकता पड़ती है जो उसकी शिथिलता व थकान को हटाकर उसमें

नवीनता व ताजगी का संचार कर सके । इन परिस्थितियों में दूरदर्शन मनुष्य के मनोरंजन के लिए एक उत्तम साधन है ।

दूरदर्शन के समस्त कार्यक्रम मानव समाज की अनुभूतियों व संवेदनाओं पर आधारित होते हैं । टेलीविजन से जुड़े निर्माता समाज व राष्ट्र के लोगों की करुणा, दया, ममता, संघर्ष, प्रेम आदि समस्त भावों के समन्वित रूप को लेकर कथानक तैयार करते हैं तथा उन्हें आकर्षक रूप देकर उसका वाणी सहित चित्रांकन करते हैं ।

दूरदर्शन के कार्यक्रमों की लोकप्रियता का प्रमुख कारण यही है कि इन कार्यक्रमों में मनुष्य को कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में स्वयं की झलक दिखाई पड़ती है । उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह उस कथानक का वास्तविक पात्र है ।

दूरदर्शन के द्‌वारा दिखाए जाने वाले लोक संगीत, फिल्म संगीत तथा एलबम आदि समस्त वर्गों की आकांक्षाओं की संतुष्टि करते हैं । इसके अतिरिक्त दूरदर्शन पर दिखाई जाने वाली फिल्में लोगों का मनोरंजन करती हैं । खेल प्रेमियों के लिए देश-विदेश में होने वाले खेलों का दूरदर्शन द्‌वारा सीधा प्रसारण उन्हें भरपूर मनोरंजन प्रदान करता है ।

इसी प्रकार साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे कविता, एकांकी, नाटक, लोक संगीत आदि में अभिरुचि रखने वाले लोगों के लिए भी दूरदर्शन नए-नए कार्यक्रम समय-समय पर प्रस्तुत करता रहता है । दूरदर्शन पर आज की युवा पीढ़ी की रुचि के अनुसार भी कार्यक्रम उपलब्ध हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि दूरदर्शन समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए आवश्यक मनोरंजन प्रदान करता है । इसमें प्रत्येक वर्ग की अभिरुचि के अनुसार ही कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं ।

दूरदर्शन का हमारे देश में प्रचार-प्रसार इतनी तीव्र गति से हो रहा है कि विगत कुछ वर्षों में यह महानगरों, नगरों व उपनगरों के अतिरिक्त सुदूर क्षेत्रों व ग्रामीण अंचलों तक अपनी उपस्थिति स्थापित कर चुका है । आज देश के करोड़ों लोग विज्ञान की इस महान देन से लाभान्वित हो रहे हैं । दूरदर्शन ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।

दूरदर्शन के माध्यम से सरकार शिक्षा संबंधी अनेक कार्यक्रम प्रसारित कर रही है । यह उन लोगों के लिए भी पाठ्‌यक्रम चला रही है जिन्हें कभी विद्‌यालय जाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ । विद्‌यालय जाने वाले विभिन्न कक्षाओं के छात्रों के लिए दूरदर्शन विशेष रूप से दैनिक व साप्ताहिक कार्यक्रम प्रस्तुत करता है ।

पाठ्‌यक्रम संबंधी कार्यक्रमों के अतिरिक्त कृषि जगत् की संपूर्ण जानकारी का पता कृषक बंधु विभिन्न कृषि कार्यक्रमों के माध्यम से लगा सकते हैं । इसमें उन्नत बीजों, कृषि के आधुनिकतम वैज्ञानिक उपकरण व कृषि हेतु नवीन विधियाँ सम्मिलित हैं ।

इतना ही नहीं चिकित्सा के क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी अनेक जानकारियाँ समय-समय पर दूरदर्शन द्‌वारा प्रस्तुत की जाती हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में जहाँ माता-पिता अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हैं वहाँ पर बच्चों को मानवीय संवेदनाएँ व संस्कार दूरदर्शन के माध्यम से ही प्राप्त होते हैं ।

दूरदर्शन हर वर्ग के मनुष्य के लिए कुछ न कुछ नया, मनोरंजक एवं प्रेरणादायक कार्यक्रमों को लेकर आता है । डिस्कवरी जैसे टेलीविजन चैनल लोगों को दुनिया की विचित्रताएँ बताते हैं, हमें अपने पर्यावरण की सही स्थिति का भान कराते हैं । वास्तव में टेलीविजन पर शिक्षात्मक कार्यक्रमों को जिस सजीवता के साथ मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है ।

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