Hindi, asked by hackerop4715, 6 months ago

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Answered by anushka3601
1

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कवि रैदास से राम नाम की रट नही छूट रही थी। वे हर समय राम नाम रटना चाहते थे।

पहले पद का केंद्रीय भाव यह है कि राम नाम की रट अब छूट नही सकती। रैदासने राम नाम को अपने अंग-अंग में बसा लिया है। वह उनके अनन्य भक्त बन चुके है।

Answered by maheshwaripooja951
3

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