Please write a 4 paragraph Chitra varnan in Hindi( refer the picture given above for topic)
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मानव की विकास सम्बन्धी गतिविधियाँ जैसे भवन निर्माण, यातायात और निर्माण न केवल प्राकृतिक संसाधनों को घटाती है बल्कि इतना कूड़ा-कर्कट (अपशिष्ट) भी उत्पन्न करती हैं जिससे वायु, जल, मृदा और समुद्र सभी प्रदूषित हो जाते हैं। वैश्विक ऊष्मण बढ़ता है और अम्ल वर्षा बढ़ जाती है। अनुपचारित या अनुचित रूप से उपचारित अपशिष्ट (कूड़ा-कर्कट) नदियों के प्रदूषण और पर्यावरणीय अवक्रमण का मुख्य कारण है जिसके फलस्वरूप स्वास्थ्य का खराब होना और फसलों की उत्पादकता में कमी आती है। इस पाठ में आप प्रदूषण के प्रमुख कारणों, हमारे पर्यावरण पर पड़ने वाले उनके प्रभावों और विभिन्न उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे, जिनसे इस प्रकार के प्रदूषणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
वायु प्रदूषण औद्योगिक गतिविधियों और कुछ घरेलू गतिविधियों के फलस्वरूप होता है। ताप संयंत्रों, जीवाश्ममय ईंधन के निरन्तर बढ़ते प्रयोग, उद्योगों, यातायात, खनन कार्य, भवन-निर्माण और पत्थरों की खुदाई से वायु-प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि वायु में किसी भी हानिकारक ठोस, तरल या गैस का, जिसमें ध्वनि और रेडियोधर्मी विकिरण भी शामिल हैं, इतनी मात्रा में मिल जाना जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव और अन्य जीवधारियों को हानिकारक रूप से प्रभावित करते हैं। इनके कारण पौधे, सम्पत्ति और पर्यावरण की स्वाभाविक प्रक्रिया बाधित होती है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है (1) निलंबित कणिकीय द्रव्य (निकले हुए ठोस कण) (2) गैस रूपी प्रदूषक जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), NOx आदि। कुछ वायु प्रदूषक, उनके स्रोत और उनके प्रभाव तालिका 10.1 में दिए गए हैं।