Please write a sanvad on pariksha ke bad do mitro ki baatcheet
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सुनील: "परीक्षा पूरी होने के बाद कितना अच्छा लग रहा है।"
सुशील: "हाँ, सचमुच परीक्षा के दिन कितने भारी लगते हैं।"
सुनील: "मैं तो दिन गिनता रहता हूँ, कि परीक्षा के दिन कब अंत होंगे।"
सुशील: "मेरे विचार में लोगों को परीक्षा को इतना अधिक मह्त्व नहीं देना चाहिए।"
सुनील: "हाँ, यदि विद्यार्थियों के प्रतिदिन के काम को भी परीक्षा के अंकों के साथ बराबर महत्व दिया जाये तो बेहतर होगा।"
सुशील: "तुम ठीक कहते हो, इस प्रकार विद्यार्थियों के लिए परीक्षा इतनी भयभीत करने वाली नहीं होगी।"
सुनील: "हाँ, वे साल भर व्यवस्थित रूप से पढ़ सकते हैं और अच्छे अंक प्राप्त कर सकते है।"
सुशील: "यह विचार उत्तम है।"
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