Hindi, asked by Aaravtiwari, 1 year ago

Please write a Short essay on

◆ ◆ 【 मेरे सपनों का भारत 】 ◆ ◆

Answers

Answered by mrAniket
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hello \:  \: mate

★ ★ ★ ★ मेरे सपनों का भारत ★ ★ ★ ★ 

● ● 【 एक रात जब मैं सोया था ,
नींद में बड़ा सपना डुबोया था । 
सपने में था एक जहाँ ,
वह था मेरा हिदुस्तान ।】 ● ◆ 

मेरा भारत, मेरा इंडिया , मेरा हिंदुस्तान सारे एक ही नाम है और न जाने कितने नाम है हमारे प्यारे देश के और न जाने कितने नाम अभी और मिलेंगे हमारे देश को । 

हमारा भारत सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विश्व का मार्ग-दर्शक रहा है। हमारे भारत के नालंदा एवं तक्षशिला विश्वविद्यालय में विश्वभर से विद्यार्थी पढ़ने आया करते थे। आज हम विदेश में जाकर शिक्षा ग्रहण करने में गौरव का अनुभव करते हैं। मैं ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ जिसमें हम एक बार पुनः सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विश्व का नेतृत्व कर सकेंगे। हमारी संस्कृति विश्व की श्रेष्ठ संस्कृति है। हमें अपना महत्व पुनः स्थापित करना होगा।हमे चाहिए कि हम अपने भारत को पुनः विश्वगुरु पर सुशोभित करे । हमारे भारत की बात ही निराली है । 

हम और हमारा भारत एक आदर्श है समस्त प्राणि जगत के लिए । मेरे सपनों के भारत में कृषि एवं उद्योगों में प्रगति नई दिशाओं को छू रही होगी। यहाँ उत्पादन की गति कभी धीमी नहीं पड़ेगी। लोगों के खाद्यान्न पर्याप्त मात्रा में सुलभ होंगे , और दूध दही की नदियाँ बह रही होंगी। इससे भारतवासियों का स्वास्थय अचदा रह सकेगा।
मैं एक ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ जहाँ लोकतंत्र की जड़ें गहरे रूप से स्थापित हो चुकी हांेगी। यहां के नागरिक सभी प्रकार सो स्वतंत्रता का उपयोग कर सकेंगे। सभी राजनीतिक दलों को कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता होगी।

हमे चाहिए कि हम अपने भारत को पुनः सोने की चिड़िया नही बल्कि सोने का शेर बनाना है । और हम इस लक्ष्य को पूरा करके ही रहेंगे ।



thanks
Answered by TheSpy
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【【【★ ★ ★ मेरे सपनों का भारत ★ ★ ★ 】 】】

मेरे सपनों का भारत के शीर्षक की एक पुस्तक भी है । जो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के द्वारा लिखी गई हैं । जो कुछ इस प्रकार से है > >

भारत की हर चीज मुझे आकर्षित करती है। सर्वोच्च आकांक्षायें रखने वाले किसी व्यक्ति को अपने विकास के लिए जो कुछ चाहिये, वह सब उसे भारत में मिल सकता है।
भारत अपने मूल स्वरूप में कर्मभूमि है, भोगभूमि नहीं। 
भारत दुनिया के उन इने-गिने देशों में से है, जिन्होंने अपनी अधिकांश पुरानी संस्थाओं को, कायम रखा है। साथ ही वह अभी तक अन्ध-विश्वास और भूल-भ्रान्तियों की इस काई को दूर करने की और इस तरह अपना शुद्ध रूप प्रकट करने की अपनी सहज क्षमता भी प्रकट करता है। उसके लाखों करोड़ों निवासियों के सामने जो आर्थिक कठिनाइयाँ खड़ी हैं, उन्हें सुलझा सकने की उनकी योग्यता में मेरा विश्वास इतना उज्जवल कभी नहीं रहा जितना आज है। 

मेरा विश्वास है कि भारत का ध्येय दूसरे देशों के ध्येय से कुछ अलग है। भारत में ऐसी योग्यता है कि वह धर्म के क्षेत्र में दुनिया में सबसे बड़ा हो सकता है। भारत ने आत्मशुद्धि के लिए स्वेच्छापूर्वक जैसा प्रयत्न किया है, उसका दुनिया में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। भारत को फौलाद के हथियारों की उतनी आवश्यकता नहीं है; वह हथियारों से लड़ा है और आज भी वह उन्हीं हथियारों से लड़ सकता है। दूसरे देश पशुबल के पुजारी रहे हैं। यूरोप में अभी जो भयंकर युद्ध रहा है, वह इस सत्य का एक प्रभावशाली उदाहरण है। भारत अपने आत्मबल से सबको जीत सकता है। इतिहास इस सच्चाई को चाहे जितने प्रमाण दे सकता है कि पशुबल आत्मबल की तुलना में कुछ नहीं है। कवियों ने इस बल की विजय के गीत गाये हैं और ऋषिओं ने इस विषय में अपने अनुभवों का वर्णन करके उसकी पुष्टि की है।

यदि भारत तलवार की नीति अपनाये, तो वह क्षणिक सी विजय पा सकता है। लेकिन तब भारत मेरे गर्व का विषय नहीं रहेगा। मैं भारत की भक्ति करता हूँ, क्योंकि मेरे पास जो कुछ भी है वह सब उसी का दिया हुआ है। मेरा पूरा विश्वास है कि उसके पास सारी दुनिया के लिए एक सन्देश है। उसे यूरोप का अन्धानुकरण नहीं करना है। भारत के द्वारा तलवार का स्वीकार मेरी कसौटी की घड़ी होगी। मैं आशा करता हूँ कि उस कसौटी पर मैं खरा उतरूँगा। मेरा धर्म भौगोलिक सीमाओं से मर्यादित नहीं है। यदि उसमें मेरा जीवंत विश्वास है तो वह मेरे भारत-प्रेम का भी अतिक्रमण कर जायेगा। मेरा जीवन अहिंसा-धर्म के पालन द्वारा भारत की सेवा के लिए समर्पित है।
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