please write a short story in hindi with morals
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मोहनदास , जो कि एक रिटायर्ड शिक्षक थे , अपने परिवार के साथ शहर से कुछ दूर गाँव मे रहते थे । उम्र के इस पड़ाव मे भी वे अपने आप को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए , अपना काम स्वयं करते थे। वे गाँव मे सभी बच्चो को शिक्षा एवं आदर्श की बाते सिखाते थे । उनके इस गुण के कारण ,गाँव के सभी जन बच्चे उनका बड़ा आदर सम्मान करते थे।
एक रात , मोहनदास को खबर मिली कि शहर मे उनके किसी परिजन की तबीयत खराब है और उनका वहाँ पहुँचना अत्यंत आवश्यक है । फिर क्या था , मोहनदास ने उसी समय , रात को ही शहर जाने का निश्चय किया । रात का वक्त होने कि वजह से बस, कार आदि उपलब्ध न हो सकी । मोहनदास ने अपनी साइकिल उठाई और शहर का रुख किया ।
ठंड के मौसम था और आधी रात का समय था ,और वे अपनी साइकिल पर ठंड मे ठिठुरते हुये जा रहे थे। तभी अचानक आगे सड़क के एक ओर से आवाज़ आई , " मेरी मदद करो , मेरी मदद करो .....कोई तो मेरी मदद करो .." मोहनदास ने देखा कि एक आदमी जो की बीमार और असहाय दिख रहा था ॥ सड़क किनारे बैठा रो रहा था । मोहनदास को देखते ही वह आदमी बोला मेरी मदद कीजिये ...मैं बीमार हूँ और भूखा -प्यासा भी हूँ ....मेरी मदद कीजिये ...मानवता के नाम पर कृपया मेरी मदद कीजिये...मोहन दास जो कि एक रहम दिल और परोपकारी आदमी थे,उन्होने उस व्यक्ति की मदद करने का फैसला किया |वे जैसे ही अपने साइकल पे टंगे बेग मे से खाना और पानी और खाना निकालने के लिए गए ....वह व्यक्ति अचानक से चाकू लेकर उनके पीछे आ गया |मोहनदास संभलते इतने मे उस व्यक्ति ने मोहनदास को पकड़ लिया और चाकू के दम पे मोहनदास के सारे पैसे लूट लिए और वो चोर साइकल लेकर भागने लगा
तब मोहनदास ने प्यार से बोला की तुम ने बीमार और असहाय बनकर मुझे लूटा ये बात किसी ओर से मत कहना ...वरना लोगो का इंसानियत से विश्वास उठ जाएगा और लोग असहाय की सहायता करना छोड़ देंगे |उनकी इस बात को सुनकर चोर का आत्मापरिवर्तन हो गया और वह उनसे माफी मांगने लग गया |और उसने प्रण लिया की आगे भविष्य मे कभी चोरी नहीं करेगा |
एक रात , मोहनदास को खबर मिली कि शहर मे उनके किसी परिजन की तबीयत खराब है और उनका वहाँ पहुँचना अत्यंत आवश्यक है । फिर क्या था , मोहनदास ने उसी समय , रात को ही शहर जाने का निश्चय किया । रात का वक्त होने कि वजह से बस, कार आदि उपलब्ध न हो सकी । मोहनदास ने अपनी साइकिल उठाई और शहर का रुख किया ।
ठंड के मौसम था और आधी रात का समय था ,और वे अपनी साइकिल पर ठंड मे ठिठुरते हुये जा रहे थे। तभी अचानक आगे सड़क के एक ओर से आवाज़ आई , " मेरी मदद करो , मेरी मदद करो .....कोई तो मेरी मदद करो .." मोहनदास ने देखा कि एक आदमी जो की बीमार और असहाय दिख रहा था ॥ सड़क किनारे बैठा रो रहा था । मोहनदास को देखते ही वह आदमी बोला मेरी मदद कीजिये ...मैं बीमार हूँ और भूखा -प्यासा भी हूँ ....मेरी मदद कीजिये ...मानवता के नाम पर कृपया मेरी मदद कीजिये...मोहन दास जो कि एक रहम दिल और परोपकारी आदमी थे,उन्होने उस व्यक्ति की मदद करने का फैसला किया |वे जैसे ही अपने साइकल पे टंगे बेग मे से खाना और पानी और खाना निकालने के लिए गए ....वह व्यक्ति अचानक से चाकू लेकर उनके पीछे आ गया |मोहनदास संभलते इतने मे उस व्यक्ति ने मोहनदास को पकड़ लिया और चाकू के दम पे मोहनदास के सारे पैसे लूट लिए और वो चोर साइकल लेकर भागने लगा
तब मोहनदास ने प्यार से बोला की तुम ने बीमार और असहाय बनकर मुझे लूटा ये बात किसी ओर से मत कहना ...वरना लोगो का इंसानियत से विश्वास उठ जाएगा और लोग असहाय की सहायता करना छोड़ देंगे |उनकी इस बात को सुनकर चोर का आत्मापरिवर्तन हो गया और वह उनसे माफी मांगने लग गया |और उसने प्रण लिया की आगे भविष्य मे कभी चोरी नहीं करेगा |
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