Hindi, asked by gilldhudike77, 1 year ago

please write an anuchchhed on Rasoi Ghar per mahangai ki maar in hindi of200 to300 words​

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Answered by raza75
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Explanation:

मँहगाई या मूल्य वृद्धि केवल एक सामाजिक समस्या ही नहीं वरन एक आर्थिक समस्या भी है । आज विश्व बाहरी तौर पर हमें महान भले ही मान रहा हो, गाँधी के नाम की माला को जप रहा हो किन्तु वह हमारी आन्तरिक दुर्बलता से भली- भाँति परिचित है ।

वह है हमारी व्यवस्था तथा शासन में आर्थिक अनुशासन की कमी जिसका परिणाम हमें मँहगाई के रूप में देखने को मिलता है । इस मूल्य वृद्धि से जनजीवन बहुत ही त्रस्त हो गया है ।

आज का प्रत्येक विक्रेता अधिक से अधिक लाभ कमाने के चक्कर में है, यदि किसी वस्तु के भाव की वृद्धि का तो तुरन्त विक्रेता पहले से दुकान पर वर्तमान वस्तु के दाम एकदम बढ़ा देता है, जबकि नवीन वसुर यदि महँगी खरीदे तो उसे अधिक मूल्य पर देनी चाहिए । परन्तु पुरानी वस्तु को उसे पिछले भाव – में देना चाहिए ।

कभी-कभी तो बढ़े मूल्य से भी अधिक मूल्य पुरानी बस्तुओं पर वह ले लेता है, यही अधिक लाभवृत्ति ही मूलय वृद्धि कहलाती है । ये कारण एक नैतिक कारण है । जिससे मँहगाई फैलती है किन्तु एक दूसरी वजह सरकार का व्यापारियों पर अन्धाधुन्ध कर लगाना तथा अफसरशाही द्वारा व्यापारी वर्ग को परेशान करके घूस के रूप में पैसा खींचना ।

तंग आकर व्यापारी वर्ग के सामने मूल्य बढ़ाने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं रह जाता । जो इम्पोर्टर हैं (आयातकर्त्ता) उनके माल पर इतना सीमा शुल्क लगा दिया जाता है कि वे भी बाजार में वस्तुओं के दाम बढ़ाने के लिये मजबूर कर दिये जाते है ।

Answered by amalamit
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Answer:

भारत की बहुत सी आर्थिक समस्याओं में महंगाई की समस्या एक मुख्य है । वर्तमान समय में महंगाई की समस्या अत्यन्त विकराल रूप धारण कर चुकी है । एक दर से बढ़ने वाली महंगाई तो आम जनता किसी न किसी तरह से सह लेती है, लेकिन कुछ समय से खाद्यान्नों और कई उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्यों में भारी वृद्धि ने उप कर दिया है ।

वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि का क्रम इतना तीव्र है कि आप जब किर को दोबारा खरीदने जाते हैं, तो वस्तु का मूल्य पहले से अधिक हो चुका होता है । गरीब और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थ गेहूँ के लगभग एक-तिहाई बढ़ोतरी इस समस्या के विकराल होने का संकेत दे रही है ।

चिन्तनात्मक विकास:

कीमतों में निरन्तर वृद्धि एक दहशतकारी मोड़ ले रही है । कारण मनुष्य की समाज में उन्नत जीवन जीने की इच्छा एक दिवास्वप्न हो गई है । पदार्थो की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हुई है, इसका कारण है हमारी कृषि व्यवस्था र्क अवस्था ।

कालाधन, जमाखोरी, राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार, गरीबी, जनसंख्य अल्पविकास, राष्ट्रीयकृत उद्योगों में घाटा, सरकारी कुव्यवस्था, रुपये का अवमूल्यन, मुद्रास्फीति इत्यादि ऐसे कारक हें जो निरन्तर महंगाई को बढ़ाये जा रहे हैं । महंगाई आज राष्ट्रीय ही नहीं अपितु अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बन गई है । महंगाई के कारण असन्तोष बढ़ रहा है हर वर्ग के लोग त्रस्त हैं । बढ़ती महंगाई अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को प्रभावित कर प्रत्येक वस्तु के मूल्य एवं किराये बढ़ रहे हैं ।

प्रत्येक उपभोक्ता वस्तुओं की पूर्ति में रही है । जहाँ तक खाद्यान्नों का प्रश्न है उसकी वृद्धि दर तो और भी कम है यानि तव प्रतिशत प्रतिवर्ष लगभग जनसंख्या वृद्धि दर के समतुल्य । इसलिए इसका कारण अन की जरूरत नहीं है कि देश में खाद्यानने संकट क्यों है और मूल्य बढ़ क्यों रहे है । यह है कि भारत में चूंकि कृषि ही आजीविका का मुख्य आधार है इसलिये यह सारे प्रभावित करती है ।

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