Hindi, asked by melvinlty1052, 11 months ago

Please write essay on bache man ke sache for class 6. Write it to 80 to 100 words.

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Answered by sushil14376
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बच्चे अपनी इस दुनिया को पूरी तरह भुलाकर खेलते हैं। अपनी एक अलग ही सुंदर दुनिया की रचना कर लेते हैं। वे जब खेलते हैं, उन्हें अपनी भूख-प्यास की कतई चिंता नहीं रहती। वे लगभग अपनी भूख-प्यास को भुलाकर खेलते हैं। यह मगन रहना है, अपनी दुनिया में। वे अपनी आड़ी-तिरछी लाइनों को बनाएँगे तो इतना मगन होकर कि वह उनके आनंद में बदल जाती है। उनमें कोई आकांक्षा नहीं, महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि बनाने का आनंद है। क्या हम मगन रहते हुए यह आनंद हासिल कर पा रहे हैं?

आप उन्हें देखिए। उनका खेल देखिए। वे एक-दूसरे का हाथ थामे खेलते हैं। कई ऐसे खेल हैं बच्चों के जो वे एक-दूसरे का हाथ थामकर खेलते हैं। उनमें सहज विश्वास होता है कि वे एक-दूसरे का हाथ थामे पकड़े रहेंगे। कभी छोड़ेंगे नहीं?

क्या हम एक-दूसरे का सहज ही हाथ थामे हैं?

वे खेलते हैं तो सिर्फ खेलते हैं। आगे और पीछे का सब भुलाकर। वे सिर्फ उसी क्षण में होते हैं। वर्तमान के क्षण में। वही उनका है, उसी में वे होते हैं। पूरी तरह। सब कुछ भुलाकर। वे न पीछे का सोचते हैं और न ही आगे का। वे सिर्फ अभी और अभी के घर में रहते हैं। वे अभी को जीते हैं। वे वर्तमान में रहते हैं।

हम हैं कि या तो अतीत में जीते-मरते हैं या फिर भविष्य में जीते-मरते हैं। क्या हम वर्तमान में जीते हैं?

उन्हें खेलते देखिए। वे उछलते हैं, कूदते हैं, गिरते हैं, पड़ते हैं, अपनी धूल पोंछकर उठ खड़े होते हैं। कोई रगड़, कोई खरोंच उनके उत्साह और उमंग की लहर को उठने से नहीं रोकती। हम अपने एक ही जख्म को जिंदगीभर पाले रहते उदास बने रहते हैं?

हम सचमुच बच्चों का खेल देखना भूल गए हैं? इस बाल दिवस पर क्या हमें बच्चों का खेल फिर से देखना शुरू नहीं करना चाहिए? वे हमें जिंदगी का असल खेल खेलना सिखाते हैं।

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