Hindi, asked by siri4639, 1 month ago

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Answered by shagunparida2
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उत्तर - इस साखी के कवि “कबीरदास” जी हैं। इसमें कबीर दास जी मनुष्य को स्वार्थ त्यागकर दयावान बनने की सीख दे रहें हैं। व्याख्या – इसमें कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य का मन अगर शांत है तो संसार में कोई शत्रु नहीं हो सकता। यदि सभी मनुष्य स्वार्थ का त्याग कर दें तो सभी दयावान बन सकते हैं।

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