Hindi, asked by umeshkesharwani599, 5 months ago

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Answered by subhashkanse
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Explanation:

हमें पता है कि चमकने वाली चीज सोना ही नहीं और बहुत कुछ होती है जैसे चांदी ब्रेसलेट एक हमारी दुनिया भी है जो हमेशा चमकती है किस्मत से सुधरती है पेड़ों से कुछ खूबसूरत होती है और सनी हवा हवाई हमारा जीवन है सोना कुछ नहीं सोना तो बस पहनने के लिए बनाने के लिए तो दुनिया तो इससे भी ज्यादा खूबसूरत है तो हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती बल्कि दुनिया होती है

make me brainlist

hope you helps


subhashkanse: hi if you help plese make me brainlist if helps you
Answered by shivangiroy27
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Answer:

संसार में मनुष्य ही सबसे समर्थ प्राणी है, और सब कुछ पाने की क्षमता रखता है। यदि वह किसी कारणवश निराशा में डूब जाता है, तब उसके सोचने-समझने की शक्ति भी धीमी पड़ जाती है। सफलता-विफलता तो जीवन के दो बिंदु है, लेकिन निराशा के कारण विफलताओं को आधार मान मनुष्य हीनता और दुर्बलता का शिकार हो जाता है। निराश होकर बैठे रहने से अच्छा हो अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग सकारात्मक तरीके से कर अपनी असफलता को सफलता में बदल दे। दृढ़ विश्वास और इच्छाशक्ति के बल पर तो लोग हिमालय पर भी विजय प्राप्त कर चुके है, घने जंगलों को साफ़ कर बस्तियां बसा चुके हैं। न जाने कितनी असफलताओं के बाद इंसान को चाँद तक पहुंचने में सफलता मिल चुकी है। तो फिर हम क्यों निराशा के शिकार हो आलसी और निकम्मे बनकर अपने और समाज पर बोझ बने। क्यों न हम निराशा की इस धुंधली परत को अपने मन से निकाल फेंकें और एक नयी शुरुआत करें। अपने विचार, धारणा और कार्य शैली में बदलाव कर क्यों न हम हिम्मत का परिचय देते हुए अपनी विफलताओं को सफलता में परिवर्तित कर दें।

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