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Answer:
(क) =धृति =धैर्य, प्रीति
क्षमा =माफ़ करना, आलोचकों का भी उपकार करना
दमोस्तेय =यहां सन्धि हुई है =दम +अस्तेय
दम =सयम से धर्म में लगे रहना या धर्म के लिए काम करना
अस्तेय =चोरी न करना,
शौच =पूरी तरह से हमारी पवित्रता यानी की आंतरिक और मानसिक दोनों,
इन्द्रियनिग्रह =हमारी इन्द्रियों को हमेशा धर्म के कामो में लगाना और अच्छे के लिए प्रयोग करना,
धीर्विद्या =यहां भी सन्धि है =धी +विद्या
धीर्विद्या = अच्छे कामो से बुद्धि को बढ़ाना और वैसा ही ज्ञान लेना /ग्रहण करना,
सत्यम = सत्य की राह पर चलना,
अक्रोध:=हमें शांत रहना और क्रोध का त्याग कर देना l
(ख)= इस स्लोका का अर्थ होता है की,
=जिसमे धर्म का सब कुछ समाया है और उसी उसी के अनुकूल है, हमें उसी धर्म का सार सुनना चाहिए और फिर अपने मस्तिष्क में उतार लेना चाहिए और हमें जो दुखदायी लगे या लगा हो वैसे किसी भी दुसरे के साथ नहीं करना चाहिए l
मै आशा करता हु यह उत्तर अप्पके लिए मददगारी होगा l
धन्यवाद l
Explanation:
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