World Languages, asked by adrikachkra1712, 1 month ago

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'दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य ।
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥

इस संस्कृत श्लोक का क्या अर्थ है?

Answers

Answered by koyaltushar197
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Answer:

इस का मतलब है

Explanation:

धन की तीन गति होती है- दान भोग और नाश।

इसमें से सबसे उत्तम गति दान की है।

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