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क)इस कविता में कवि करना चाहता है कि।इस धरती के प्रगति पर मनुष्य खराबी कर रहा है। इसे रोकना चाहिए।
ख)इस दूषित जल के पानी से।
ग)धरती पर मनुष्य खराबी कर रहा है।और पेड़ को काटते है।
घ)धरती का मौसम
ड़)धरती पर ये समस्याएं मनुष्य पैदा की है।
1.कवि प्रस्तुत गद्या श मे हमे यह बटण चाहते
हे की धरती पर बढती आबाधी तथा प्रदूषण
की वजहसे हमे किंन तखलिफो का सामना
करना पडेगा।
2. कवि प्रस्तुत गद्याश मे बताना चाहते हे की
जंगल की बढती कटाई तथा गलत
तरिखेसे जादा फसल उगानेसे और
उसकी वजहसे पानी दूषित हुआ हें।
पेंड काटे जारहे हे नये पेड लगाये नाही
जा रहे हे इस विषेले पानी पे फसल उगाने
से नित नयी बीमरिया पैल राही हें।
3. कवी प्रस्तुत गद्याश मे कहते हे की इस
सस्य श्यामला धरती के बारे मे कोई शो
चता नही हे । नित पेड काटे जा रहे हे
उसकी जगह बबूल के पेड लगाये जा रहे हें
बद हाली बढती जारहीहे धरती के कितने
तुकडे करोगे वह धरती ही हे कोई रबर नही
हे। बिना पाणी के धरती पे जल भी विशेला
हो गया हे।
4. "धरती की बरबादी"
एस्से बढकर इस गद्या श का शीर्षक नहि
हो शकता।
5. प्रस्तुत गद्याश मे धरती पर यह समस्या
संपूर्ण मानवजाती ने की हें। बढती
आबाधी तथा जंगल की कटाई ,पेड न
लगा ना उसकी वजहसे बारीश न होना, बडी
संख्या मे धान उगाने से धरती का पाणी
दूषित हूंआ हें।