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- कवि धरती के ऋण को समझता है। वो जनता ह की धरती ने उसे जीवन दिया । अब मातृ भूमि के हित के लिए वह अपना सब कुछ न्योछावर कर देना चाहता ह। हमारी मातभूमि हमें ना सिर्फ अन्न देती ह बल्कि हमें स्वास के लिए वायु, रहने के लिए धरती एवं खाने के लिए भोजन देती है, ऐसी मां के लिए कवि का सब कुछ समर्पित हैं।
- कवि अपनी तलवार को धरती की रक्षा के लिए उठाना चाहता ह। उसी ऋण को चुकाने के लिए वह अपना सब कुछ दव पर लगा देना चाहता ह। धरती मा के दुश्मनों को मर कर वह खुद को इसे समर्पित करना चाहता है।
- इस पंक्ति का भाव यह ह की कवि की अपनी धरती के लिए कुछ करने की इच्छा की पूर्ति नहीं होती हैं। वो जितना भी करता ह उससे कम लगता ह। धरती मा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करना ही उसका लक्ष्य है।
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