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तीन महीने पहले चीन के वुहान शहर से हुआ कोरोना का कहर देखते ही देखते दुनिया के लगभग सभी देशों तक पहुंच गया है। कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या दुनियाभर में चार लाख तक पहुंच गई है और 17 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में तो कोरोना के कारण चीन से भी ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। कोरोना को लेकर कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति है, अर्जेन्टीना में भी 20 मार्च को लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। भारत में भी कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए 24 मार्च को रात 12 बजे से पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है।
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एक ओर जहां कोरोना का खतरा गहरा रहा है, वहीं सोशल मीडिया के जरिये कोरोना को लेकर बहुत सारी अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं, कोरोना को लेकर मजाक बनाया जा रहा है, आज की परिस्थितियों को देखते यह सब ठीक नहीं है। सोशल मीडिया के इस तरह के दुरूपयोग पर लगाम लगाए जाने की जरूरत है। दुनियाभर के विशेषज्ञ एक स्वर में कह रहे हैं कि कोरोना की अब तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है और न ही इसका कोई इलाज है, वहीं सोशल मीडिया के ‘महाज्ञानी’ लोग कोरोना को लेकर बेतुका ज्ञान बांट रहे हैं। कोई करेले का जूस पीने से कोरोना वायरस महज दो घंटे में लुप्त हो जाने का दावा करते हुए इस संदेश को तेजी से वायरल करने को कह कर रहा है तो कोई गौमूत्र के सेवन से कोरोना से बचने की सलाह दे रहा है। इसी प्रकार कुछ लोग लहसुन, प्याज, गर्म पानी, विटामिन सी, स्टेरॉयड, शराब इत्यादि के जरिये कोरोना को भगाने की उलजुलूल सलाह दे रहे हैं। नोवेल कोरोना श्वसन संबंधी रोग है और कोरोना वायरस को 75 प्रतिशत अल्कोहल छिड़कने तथा उससे साफ करने से ही मारा जा सकता है, शराब पीकर नहीं। आज के समय में सोशल मीडिया पर फैलती अफवाहों पर तत्काल प्रभाव से अंकुश लगाए जाने की सख्त जरूरत है। कई बार गलत सूचनाओं के कारण समाज में दहशत का माहौल भी बन जाता है। प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि देश को कोरोना के बड़े खतरे से बचाने के लिए ऐसी अफवाहों से बचते हुए केवल सरकार तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का ही पालन किया जाए। अच्छा होगा, अगर कोरोना को लेकर बेतुके ज्ञान बांटने के बजाय सोशल मीडिया प्लेटफार्म का लोगों को जागरूक करने के लिए बेहतर उपयोग किया जाए।
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