pls explain रहिये लटपट काटि दिन, बरु घामे मां सोय। छांह न वाकी बैठिये, जा तरु पतरो होय।। जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा दैहै। जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहै।। कह गिरिधर कविराय, छांह मोटे की गहिये। पाता सब झरि जाय, तऊ छाया मे रहिये।।
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रहिये लटपट काटि दिन, बरु घामे मां सोय।
छांह न वाकी बैठिये, जा तरु पतरो होय।।
जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा दैहै।
जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहै।।
कह गिरिधर कविराय, छांह मोटे की गहिये।
पाता सब झरि जाय, तऊ छाया मे रहिये।।
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इसका इसका मतलब है कि यदि आश्रय ग्रहण करना हि है तो समर्थ और ताकतवर का ग्रहण करना चाहिए।
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