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अतिथी सदैव देवता नही होता,वह मानव या थोडे अंश मे राक्षसभी हो सक्त है।एक कहावत है, “अतिथि देवो भव”। इसका मतलब होता है कि अतिथि देवता के समान होता है। ... इसी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण अतिथि लंबे समय तक टिक जाता है और अलग-अलग तरीकों से मेजबान को दुखी करता रहता है।
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