Hindi, asked by RheaMasih, 6 months ago

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Answered by ROUSHANYADAV
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बहू की विदा एकांकी का उद्देश्य / संदेश

इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने दहेज़ प्रथा का विरोध किया है . एकांकी में प्रमुख कथा बहू की विदाई है ,जिसमे ससुर जीवनलाल अपनी बहु की विदाई के लिए पाँच हज़ार की माँग करते हैं ,जिसे बहु के भाई प्रमोद द्वारा नहीं दे पाने के कारण वह विदा करने के इनकार कर देते हैं ।

भारतीय समाज में अनेक प्रथाएं प्रचलित हें । पहले इस प्रथा के प्रचलन में भेंट स्वरूप बेटी को उसके विवाह पर उपहारस्वरूप कुछ दिया जाता था परन्तु आज दहेज प्रथा एक बुराई का रूप धारण करती जा रही है । दहेज के अभाव में योग्य कन्याएं अयोग्य वरों को सौंप दी जाती हैं । लोग धन देकर लड़कियों को खरीद लेते हैं । ऐसी स्थिति में पारिवारिक जीवन सुखद नहीं बन पाता । गरीब परिवार के माता-पिता अपनी बेटियों का विवाह नहीं कर पाते क्योंकि समाज के दहेज-लोभी व्यक्ति उसी लड़की से विवाह करना पसंद करते हैं जो अधिक दहेज लेकर आती हैं ।

हमारे देश में दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों, चाहे वे मानसिक हों या फिर शारीरिक, को बढावा देता है. इस व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है. अमीर और संपन्न परिवार जिस प्रथा का अनुसरण अपनी सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा दिखाने के लिए करते हैं वहीं निर्धन अभिभावकों के लिए बेटी के विवाह में दहेज देना उनके लिए विवशता बन जाता है. क्योंकि वे जानते हैं कि अगर दहेज ना दिया गया तो यह उनके मान-सम्मान को तो समाप्त करेगा ही साथ ही बेटी को बिना दहेज के विदा किया तो ससुराल में उसका जीना तक दूभर बन जाएगा. संपन्न परिवार बेटी के विवाह में किए गए व्यय को अपने लिए एक निवेश मानते हैं. उन्हें लगता है कि बहूमूल्य उपहारों के साथ बेटी को विदा करेंगे तो यह सीधा उनकी अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा. इसके अलावा उनकी बेटी को भी ससुराल में सम्मान और प्रेम मिलेगा |

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