Hindi, asked by riya3614, 1 year ago

pls give me extra question of lesson Kabir ki sakhiya class 8 Hindi chapter 9

Answers

Answered by amreshkumar68
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Answered by lakshayparasharr
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Answer:प्रश्न-1 साधु से क्या पूछना चाहिए?

उत्तर - साधु से ज्ञान की बातें पूछनी चाहिए।

प्रश्न-2 घास कब कष्टप्रद बन जाती है?

उत्तर - घास कष्टप्रद तब बन जाती है जब घास का सूखा तिनका आँख में चला जाता है।

प्रश्न-3 “या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”

“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”

इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

उत्तर - यहाँ ‘आपा’ अंहकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। ‘आपा’ घमंड का अर्थ देता है।

प्रश्न-4 मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

उत्तर - जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।

या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।

प्रश्न-5 आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

उत्तर – आपा का अर्थ 'अपना अस्तित्व' है और आत्मविश्वास का अर्थ है 'स्वयं पर विश्वास'।

आपा का अर्थ 'अपना अस्तित्व' है और उत्साह का अर्थ है 'उमंग'।

प्रश्न-6 सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

उत्तर - "आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।

कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।"

एकसमान होने के लिए आवश्यक है कि सब के विचार एक जैसे हों।

प्रश्न-7 कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।

उत्तर – साखी शब्द संस्कृत के शब्द साक्षी का तदभव रूप है। इसका अर्थ है - प्रमाण। साखी में जीवन मूल्य तथा सत्य चित्रण किया गया है। कबीर ने अपने अनुभवों को दोहों के रूप में कहा है। प्रामाणिक होने के कारण ही कबीर के दोहों को साखी कहा जाता है।

प्रश्न-8 कबीर के सखियाँ हमें क्या संदेश देती हैं?

उत्तर - कबीर के सखियाँ हमें यह संदेश देती हैं कि हमें साधु से उनकी जाति न पूछ कर उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। किसी से भी हमें कटु वचन नहीं बोलना चाहिए। ईश्वर की भक्ति हमें स्थिर मन से करना चाहिए। हमें अपना स्वभाव शांत रखना चाहिए और सभी को समान भाव से देखना चाहिए।

प्रश्न-9 कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - कबीरदास जी के अनुसार हमें कभी भी अहंकार वश किसी भी वस्तु को निम्न समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकि समय आने पर वही छोटी वस्तु बड़े कष्ट का कारण बन सकती है। हर एक में कुछ न कुछ अच्छाई होती है। अत: हमें सबका सम्मान करना चाहिए।

प्रश्न-10 ‘तलवार का महत्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - ‘तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं’ से कबीर यह कहना चाहता है कि हमें किसी भी वस्तु के आंतरिक गुणों को महत्व देना चाहिए नाकि बाहरी सुंदरता को। उसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान उसके गुणों एवं ज्ञान से होती हैं नाकि कुल, जाति, धर्म आदि से। ज्ञान के आगे जाति का कोई अस्तित्व नहीं है।

प्रश्न-11 पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर - इस पंक्ति के द्वारा संत कबीर जी कहते हैं कि केवल मुख से हरी का जाप करने से या हाथ में माला फेरने मात्र से ही ईश्वर का स्मरण नहीं होता है। यदि हमारा मन चारों दिशाओं में भटक रहा है और मुख से हरि का नाम ले रहे हैं तो वह सच्ची भक्ति नहीं है। ईश्वर की सच्ची भक्ति तो मन को स्थिर रखकर भगवान का सुमिरन करते हुए ही संभव है।

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