pls give me the full summary of ek sunheri kirad
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z00 M, Id:6849304329, P:12345
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1. इन पंक्तियों में कवि सूर्योदय की पहली किरण को आशा का प्रतीक बता रहें हैं| वे कह रहें हैं कि जो लोग दलित पीड़ित शोषित और निर्धन है साधन संपन्न लोग उनके दुखों का समाधान करें और उन्हें एक आशा की किरण प्रदान करें जिससे वे भी सुखी संपन्न लोगों के साथ प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ सके हैं| जिसके मन में अभी और आगे बढ़ने की अभिलाषा है जो अब भी जीवन में संघर्ष कर अपनी निश्चित मंजिल को पाने की इच्छा रख रहा है, कवि ऐसे लोगों को भी सुनहरी किरण अर्थात आशा की किरण देने की बात कर रही हैं|
2. कवि वाणी के कुछ क्षण ऐसे लोगों को देने की बात कर रहे हैं जो लोग पराधीनता और जातिवाद के पिंजरे में कैद, स्वतंत्रता का प्रयास करते करते थक गए हैं और मौन हो गए हैं और अपने दुख की अभिव्यक्ति करना भूल गए हैं अर्थात दुख को अभिव्यक्त करने वाली भाषा ही भूल गया है। कवि साधन संपन्न वर्ग से अनुरोध कर रहे हैं कि वह वंचित वर्ग को कुछ सुविधाएं प्रदान करें।
3. कवि यहां पर साधन संपन्न वर्ग से अपेक्षा कर रहे हैं कि वह अपनी खुशी के कुछ क्षण साधन हीन वर्ग को भी दें। कवि कहते हैं कि जिनकी सहायता से साधन संपन्न वर्ग ऊंचाई पर बैठा है सुंदर मकान में रह रहा है,जिनके माध्यम से धरती पर फसल उगती है उनके लिए भी छत का निर्माण करें। जैसे बंद कमल सूर्य की किरण पड़ने पर खिल जाता है वैसे हम भी ऐसा ही काम करें जिससे साधन हीन वर्ग खुश हो जाए। कवि साधन संपन्न वर्ग से साधन हीन वर्ग को आशा की किरण देने के लिए, उनका पथ को उद्भासित करने के लिए और उनके दुर्भाग्य को सौभाग्य बदलने के लिए कह रहे हैं।
4. इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जो अपने जीवन से उदास है और असफल है ऐसे लोगों के सोए मन में एक आशा की किरण दे दो ऐसे लोगों को दोबारा उठने और प्रदर्शित करने की प्रेरणा दो।