pls give me the value points of story mithoo by premchand.
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बंदरों के तमाशे तो तुमने बहुत देखे होंगे। मदारी के इशारों पर बंदर कैसी-कैसी नकलें करता है, उसकी शरारतें भी तुमने देखी होंगी। तुमने उसे घरों से कपड़े उठाकर भागते देखा होगा। पर आज हम तुम्हें एक ऐसा हाल सुनाते हैं, जिससे मालूम होगा कि बंदर लड़कों से दोस्ती भी कर सकता है।
कुछ दिन हुए लखनऊ में एक सर्कस कंपनी आई थी। उसके पास शेर, भालू, चीता और कई तरह के और भी जानवर थे। इनके सिवा एक बंदर मिट्ठू भी था।
लड़कों के झुंड-के-झुंड रोज इन जानवरों को देखने आया करते थे। मिट्ठू ही उन्हें सबसे अच्छा लगता। उन्हीं लड़कों में गोपाल भी था। वह रोज आता और मिट्ठू के पास घंटों चुपचाप बैठा रहता। उसे शेर, भालू, चीते आदि से कोई प्रेम न था।
वह मिट्ठू के लिए घर से चने, मटर, केले लाता और खिलाता। मिट्ठू भी उससे इतना हिल गया था कि बगैर उसके खिलाए कुछ न खाता। इस तरह दोनों में बड़ी दोस्ती हो गई।
कुछ दिन हुए लखनऊ में एक सर्कस कंपनी आई थी। उसके पास शेर, भालू, चीता और कई तरह के और भी जानवर थे। इनके सिवा एक बंदर मिट्ठू भी था।
लड़कों के झुंड-के-झुंड रोज इन जानवरों को देखने आया करते थे। मिट्ठू ही उन्हें सबसे अच्छा लगता। उन्हीं लड़कों में गोपाल भी था। वह रोज आता और मिट्ठू के पास घंटों चुपचाप बैठा रहता। उसे शेर, भालू, चीते आदि से कोई प्रेम न था।
वह मिट्ठू के लिए घर से चने, मटर, केले लाता और खिलाता। मिट्ठू भी उससे इतना हिल गया था कि बगैर उसके खिलाए कुछ न खाता। इस तरह दोनों में बड़ी दोस्ती हो गई।
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