pls give the meaning of the poem given below . its very urgent. plssssssssssssss.
नीईईईईल—मणि—मुख
पोखर में खड़ा सूर्य
झलक गया अभी से
बिंब भी
साँझ की आमद का
चंद्रमा
खींच लिए चलता है अपना चित्र
पानी से बहुत दूर-दूर वहाँ
और
अनिद्रा में डूबे हुए वे श्वेत-से कुछ पंख
उस ओर शायद प्रतीक्षा करती बैठी हो
काग़ज़ की
वह, रसभरी!
by teji grover.........
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ok i will answer.....,.........
please wait
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