pls give the poem of kathputli
ncert class 7 hindi
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Hii
कठपुतली गुस्से से उबली
बोली यह धागे क्यों है मेरे पीछे आगे
इन्हें तोड़ दो
मुझे मेरे पांव पर छोड़ दो
सुनकर बोली और और कठपुतलियां
कि हां
बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए
मगर
पहली कठपुतली सोचने लगी
यह कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी.
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कठपुतली कविता- Kathputli Poem
गुस्से से उबली
बोली- यह धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो;
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
सुनकर बोलीं और-और
कठपुतलियाँ
कि हाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छुए।
मगर…
पहली कठपुतली सोचने लगी-
यह कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी?
HOPE THIS WILL HELP YOU
PLZ.. MARK AS BRAINLIEST
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