Pls help in an Anucched on Online Shopping in Hindi
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ऑनलाइन शॉपिंग संस्कृति जैसा कि हम वर्षों से प्रगति कर रहे हैं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी भी तीव्र गति से प्रगति कर रहे हैं। हम देख सकते हैं कि मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट जैसे हमारे आसपास के विभिन्न वैज्ञानिक चमत्कारों से। और मनुष्य द्वारा सबसे बड़ा आविष्कार इंटरनेट है। बस एक क्लिक और आप दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले किसी भी व्यक्ति से जुड़ सकते हैं। प्रौद्योगिकी द्वारा हमें एक और उपहार ऑनलाइन शॉपिंग है। ऑनलाइन शॉपिंग कल्चर अब नया चलन है। हम भोजन, कपड़े, किताबें, दवाइयाँ, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और चीजों की एक विस्तृत सामग्री हमें आकर्षक कीमतों और विशेष छूट पर इंटरनेट द्वारा प्रदान कर सकते हैं। यह वास्तव में ग्राहकों के लिए एक वरदान है। चला गया और बाहर जाने के दिन हैं जब हम अपने घरों में सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। Myntra, Amazon और Flipkart जैसी साइटों ने हमारे जीवन को इतना आसान बना दिया है। हालांकि यह छोटी दुकानों के लिए एक प्रतिबंध है। ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा के कारण हम बाहर नहीं जाते हैं और उनसे चीजें खरीदते हैं। वे नुकसान झेलते हैं और अक्सर दुकानों को बंद करने के उदाहरण मिल सकते हैं क्योंकि वे ग्राहकों को तेजी से खो रहे हैं क्योंकि वे ऑनलाइन जैसे छूट प्रदान नहीं कर सकते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग संस्कृति में इसके पेशेवरों और विपक्ष दोनों हैं। जबकि हम बाहर घूमने और बाहर घूमने जाने के बिना सब कुछ पा सकते हैं और ऑर्डर कर सकते हैं। दूसरी ओर, यह छोटी दुकानों और विक्रेताओं के लिए एक नुकसान है क्योंकि वे अपने उत्पादों को ज्यादा नहीं बेच सकते हैं और इन ऑनलाइन प्लेटफार्मों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
Explanation:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस युग में आज मानव ने हर प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त कर ली है । इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की बढती पहुँच ने मानव जीवन को सुगम बना दिया है । इण्टरनेट के माध्यम से आज हम घर बैठे-बैठे न सिर्फ दुनियाभर की जानकारी जुटा सकते है, बल्कि ई-शॉपिंग का आनन्द भी उठा सकते है ।
ई-शॉपिंग का अर्थ हैं- इण्टरनेट के द्वारा अपनी मनपसन्द सामग्रियों की खरीदारी करना । भारत में ई-शॉपिंग की शुरूआत 21वीं सदी के आगमन के पश्चात् हुई, किन्तु कुछ ही वर्षों में यह देशभर में इस कदर छा गई, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती ।आज एक ओर भारत के सभी छोटे-बड़े शहरों में घर से बाहर निकलते ही विभिन्न प्रोडक्ट्स से सजी बडे-बड़े होर्डिंग-बैनर वाली दुकानें दिख जाती हैं, तो दूसरी ओर घरों के अन्दर भी कम्प्यूटर और स्मार्टफोन में एक समृद्ध बाजार मौजूद है । घर से बाहर बाजारों में जाकर अपनी जरूरत के मुताबिक चीजों की खरीदारी करना ऑफलाइन शॉपिंग कहलाती है ।
इस प्रकार ऑफलाइन शापिंग में ट्रैफिक की झुंझटों को पार करने भीड़-भाड़ से गुजरते हुए थे बाजार का चक्कर काटकर चीजें पसन्द की जाती हैं और फिर मोलभाव करके रुपयों के लेन-देन से उनकी खरीदारी की जाती है । वहीं ई-शॉपिंग अर्थात् ऑनलाइन शॉपिंग में कहीं भी, किसी भी समय कहर चालू करके ई-कॉमर्स की साहस पर जाकर सिर्फ एक ही क्लिक में सारी खरीदारी कर ली जाती है ।
ऑनलाइन शॉपिंग साइस पर खरीदे जाने वाले सामान का ऑर्डर देने के दो-तीन दिनों के अन्दर ही ऑर्डर किए गए सामान घर पहुँचा दिए जाते हैं । टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का कहना है- ”भारत में खरीदारों की काफी संख्या होने के बावजूद लोग बाजार जाकर सामान नहीं खरीद पाते, किन्तु आज देश में ई-शॉपिंग का चलन इतना अधिक बढ़ गया है कि पाँच सौ से छ: सौ मिलियन लोग इस माध्यम से खरीदारी करते हैं ।”
सचमुच आज देश में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेजी से बढ रहा है । एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2009 में भारत में ऑनलाइन मार्केट 2.5 अरब डॉलर का था, जो वर्ष 2013 में बढ़कर 16 अरब डॉलर का हो गया और वर्ष 2023 तक इसका कारोबार 56 अरब डॉलर तक पहुँच जाने का अनुमान है, जो देश के रिटेल मार्केट (खुदरा बाजार) का 6.5% है ।