pls help me..pls explain this poem line to line
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नमस्ते मित्र !
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शक्ति और क्षमा !
मित्र इस कविता को पूरा समझाने संभव नहीं है। हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझाने का प्रयास कर रहे हैं। आशा करते हैं इसके माध्यम से आप इस कविता के भाव को समझ पाएँगे।
प्रस्तुत कविता में रामधारी जी शक्ति और क्षमा के विषय में दर्शाते हैं। उनके अनुसार पांड़वों ने जब तक विनयपूर्वक अपना अधिकार माँगा गया तो उन्हें दुत्कार, छल मिला। उसने हर बार क्षमाशीलता का सहारा लिया परन्तु वह हर बार कायर कहलाए लेकिन जब उन्होंने शक्ति का सहारा लिया, तभी उन्हें अधिकार मिला। इसी प्रकार जब भगवान राम विनयपूर्वक समुद्र से रास्ता मांगते रहे तो उसमें एक लहर भी नहीं जगी। कई दिनों तक उन्होंने इंतजार किया और समुद्र की दुष्टता को क्षमा किया परन्तु जब भी उसने उनकी बात अनदेखी, तो उन्हें शक्ति का सहारा लेना पड़ा। भयभीत समुद्र उनके पास चला आया। अपने बात को स्पष्ट करने के लिए वह और भी उदाहरण देते हैं। उनके अनुसार यदि मनुष्य अत्याचार सहता रहता है, तो अत्याचारी के अत्याचार बढ़ जाते हैं। उनके अनुसार अत्याचार सहते हुए हम अपने पौरुष को खो देते हैं। उस मनुष्य के पास क्षमा सुशोभित होती है, जिसके पास शक्ति होती है। ऐसे मनुष्य का संसार भी वरण करता है।
धन्यवाद !
☺☺☺
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शक्ति और क्षमा !
मित्र इस कविता को पूरा समझाने संभव नहीं है। हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझाने का प्रयास कर रहे हैं। आशा करते हैं इसके माध्यम से आप इस कविता के भाव को समझ पाएँगे।
प्रस्तुत कविता में रामधारी जी शक्ति और क्षमा के विषय में दर्शाते हैं। उनके अनुसार पांड़वों ने जब तक विनयपूर्वक अपना अधिकार माँगा गया तो उन्हें दुत्कार, छल मिला। उसने हर बार क्षमाशीलता का सहारा लिया परन्तु वह हर बार कायर कहलाए लेकिन जब उन्होंने शक्ति का सहारा लिया, तभी उन्हें अधिकार मिला। इसी प्रकार जब भगवान राम विनयपूर्वक समुद्र से रास्ता मांगते रहे तो उसमें एक लहर भी नहीं जगी। कई दिनों तक उन्होंने इंतजार किया और समुद्र की दुष्टता को क्षमा किया परन्तु जब भी उसने उनकी बात अनदेखी, तो उन्हें शक्ति का सहारा लेना पड़ा। भयभीत समुद्र उनके पास चला आया। अपने बात को स्पष्ट करने के लिए वह और भी उदाहरण देते हैं। उनके अनुसार यदि मनुष्य अत्याचार सहता रहता है, तो अत्याचारी के अत्याचार बढ़ जाते हैं। उनके अनुसार अत्याचार सहते हुए हम अपने पौरुष को खो देते हैं। उस मनुष्य के पास क्षमा सुशोभित होती है, जिसके पास शक्ति होती है। ऐसे मनुष्य का संसार भी वरण करता है।
धन्यवाद !
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