Hindi, asked by surendrasenapati, 1 year ago


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Answered by Sid441
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भारत में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और कई जातियों और धर्मों में विभाजित है। छुआछूत भारत के हिंदू समाज से जुडी हुई एक बहुत ही गंभीर समस्या है। छुआछूत हमारे देश के लिए एक ऐसी बीमारी है जो दूसरी समस्याओं को पैदा करती है। छुआछूत दीमक की तरह होती है जो हमारे देश को अंदर से खोखला कर रही है।

हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं लेकिन छुआछूत बहुत ही भयंकर और घातक सिद्ध होने वाली समस्या है। किसी विद्वान् ने कहा था कि छुआछूत इंसान और भगवान दोनों के प्रति एक पाप है। छुआछूत एक ऐसा कलंक है जिससे हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि मेरा कोई अपना देश ही नहीं है जिसे मैं अपना देश कहता हूँ उस देश में हमारे साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया जाता है।

छुआछूत का अर्थ : छुआछूत का अर्थ होता है- जो स्पर्श करने योग्य न हो। जब किसी व्यक्ति के समूह या समुदाय को अस्पर्शनीय माना जाता है और उसके हाथ की छुई हुई वस्तु को कोई नहीं खाता उसे छुआछूत कहते हैं। उन लोगों के साथ कोई भी मिलजुल कर नहीं रहता और न ही उनके साथ कोई खाना खाता है।

जिन लोगों से निचली जाति का काम करवाया जाता है उन्हें अछूत कहा जाता है।प्राचीनकाल में महाराजाओं के द्वारा किसी व्यक्ति के व्यवसाय को देखकर ही उसके धर्म की स्थापना की गई थी। उस समय पर हर किसी ने अपने धर्म को खुद चुना था।ब्राह्मण लोगों को शिक्षा देते थे, क्षत्रिय देश और समाज की रक्षा किया करते थे।


Sid441: आखिरकार ये कुप्रथा अब तक किस प्रकार से बनी हुई है? शहरों में जो लोग कूड़ा बीनते हैं उन लोगों को भी अछूतों की नजर से देखा जाता है। बुराई हिंदू समाज के लोगों में बहुत ही गहराई तक पहुंच गई है इसी वजह से आजादी के बाद भी आज तक ये समस्या अलग-अलग तरह से समाज में बनी हुई है।
Sid441: जो लोग छुआछूत में विश्वास रखते हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाती है क्योंकि छुआछूत के खिलाफ कानून बनाए गये हैं। ऐसा करने से भी छुआछूत की समस्या खत्म नहीं हो रही है। इस प्रथा के अब तक बने रहने का सबसे बड़ा कारण हमारे देश में उचित शिक्षा का न होना है। जो लोग अछूत समझे जाते हैं वे लोग आज भी अशिक्षित और रूढ़ग्रस्त होते हैं।
Sid441: उन के पास अभी तक अन्य ज्ञान का प्रकाश नहीं पहुँचा है। हम लोग प्राय देखते हैं कि जो हरिजन लोग शिक्षा को प्राप्त करते हैं वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार लेते हैं और उन्हें अछूत नहीं माना जाता है। अछूतों की आर्थिक स्थिति भी एक प्रकार से छुआछूत की समस्या का एक बहुत ही मुख्य कारण है।
Sid441: छुआछूत के दुष्परिणाम : सारे जगत में छुआछूत के सामाजिक, राजनितिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दुष्परिणाम बहुत ही प्रचलित हैं। आज के युग में हमारा देश आगे तो बढ़ रहा है पर फिर भी छुआछूत की समस्या की वजह से देश के एक बहुत बड़े भाग को सुख-सुविधाओं से अभी तक परिचित नहीं कराया गया है।
Sid441: जो हरिजन गाँव में रहते हैं उनके पास जीवन को जीने के लिए सुविधाएँ बहुत ही कम होती हैं। हमारे देश में गरीबी का एक कारण छुआछूत भी है। जब तक अछूत लोगों को समाज की मुख्यधारा में स्थान नहीं मिल जाता तब तक देश का समुचित विकास कभी नहीं हो सकता है।
Sid441: हमारा देश कई साल पहले आजाद हो चुका है लेकिन हरिजन वर्ग आज तक राजनितिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से आजाद नहीं हो पाया है। हम लोगों से समय यह मांग करता है कि छुआछूत को समाप्त कर दिया जाये। प्राचीनकाल में लोग यह मानते थे कि अगर अछूत लोग उन्हें छू लेते या फिर उनकी परछाई भी उन पर पड़ जाती थी तो वे अपवित्र हो जाते थे और दोबारा से पवित्र होने के लिए उन्हें गंगा जल से स्नान करना पड़ता था।
Sid441: उपसंहार : आज के युग में भी छुआछूत की समस्या हमारे लोगों के बीच की दीवार बनी हुई है। आज के समय में भी कुछ लोग अपने-आप को दूसरों से श्रेष्ठ, उच्च और योग्य समझते हैं। हरिजन वर्ग के लोगों पर आज भी अत्याचार किया जाता है उनके साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया जाता है।
Sid441: जब चुनाव होते हैं तो लोगों को अपने मत को स्वंय चुनने का अधिकार नहीं दिया जाता है। आज भी बंधुआ मजदूर के रूप में बहुत से लोग अमीरों के दास बने हुए हैं।हमारी सरकार अछूतों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। जो लोग अछूत माने जाते हैं उन्हें भी अपनी तरफ से कुछ प्रयास करने चाहिए। जब तक वे शिक्षित नहीं हो जाते तब तक उनका सुधार होना असंभव है।
Sid441: isme se jo jo achha lagra hai likh le
surendrasenapati: Thanx bro
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