Hindi, asked by tina7426, 11 months ago

pls send me vinay ke padh ka saaransh​

Answers

Answered by Mayank1675
3

Answer:

Hi Mate..

Here is your answer...

Explanation:

विनय के पद Vinay Ke Pad

१. ऐसो को उदार जग माहीं।

बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर राम सरिस कोउ नाहीं॥

जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ग्यानी।

सो गति देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी॥

जो संपति दस सीस अरप करि रावन सिव पहँ लीन्हीं।

सो संपदा बिभीषन कहँ अति सकुच-सहित हरि दीन्हीं॥

तुलसिदास सब भाँति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो।

तौ भजु राम, काम सब पूरन करैं कृपानिधि तेरो॥

व्याख्या - प्रस्तुत पद में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि इस संसार में श्रीराम के समान कोई दयावान नहीं है जो कि बिना सेवा के ही दीन दुखियों पर अपनी कृपा बरसाते हैं . कवि कहते हैं कि बड़े - बड़े ज्ञानियों और मुनियों को भी योग और तपस्या के भी भगवान् का वैसा आशीर्वाद नहीं मिलता ,जैसा की भगवान् श्रीराम के द्वारा जटायु और शबरी को मिला .जिस कृपा को पाने रावण को अपने दस सिरों को अर्पण करना पड़ा ,वहीँ प्रभु कृपा विभीषण को कुछ त्याग किये बिना ही श्रीराम से प्राप्त हो गयी .इसीलिए कवि कहते है हे मन ! अगर मेरे जीवन में सभी सुखों को प्राप्त करना हो और भगवत प्राप्ति करनी हो तो प्रभु श्रीराम को भजो . वही सबका कल्याण करते हैं .सभी की मनोकामना पूरी करते हैं . 

Similar questions