English, asked by swapnamayee76, 1 month ago

pls solve this.
the language in sanskrit. please write the answer in sanskrit language. ​

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Answered by crankybirds30
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मधुकर सिंह ( 2 जनवरी, 1934 -15 जुलाई, 2014 ) अपने समय के महत्वपूर्ण कथाकार, उपन्यासकार, टिप्पणीकार, नाटककार, जीवनी लेखक, सम्पादक और लोकगीतों के विख्यात रचयिता थे। उन्होंने वर्ष 1947-48 में 15-16 वर्ष की उम्र से लिखना शुरू किया था और अपने अंतिम दिन तक लिखते रहे थे। इस क्रम में उन्होंने सैकड़ों ग्रन्थ लिखे थे ,जिसमें 13 कहानी-संग्रह, 21 उपन्यास और अनगिनत गीत, निबंध, नाटक एवं आलोचनाएँ है। उन्होंने कई ग्रन्थों का सम्पादन भी किया था तथा प्रेमचंद, भिखारी ठाकुर और मैक्सिम गोर्की की जीवनी भी लिखी थी। यूँ कहें कि साहित्य के किसी भी पक्ष को उन्होंने अछूता नहीं छोड़ा था।

मधुकर सिंह, लोकमंच पत्रिका

मधुकर सिंह, लोकमंच पत्रिका

मधुकर सिंह का जन्म पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में 2 जनवरी, 1934 को हुआ था। जन्म के कुछ वर्षों के बाद अपनी माँ के साथ बिहार के धरहरा (भोजपुर) लौट आए- फिर धरहरा के ही हो गए। माँ ने धरहरा के सरकारी प्राईमरी स्कूल में इनका दाखिला करा दिया। नामांकन के समय नाम पड़ा राम सिंहासन सिंह। मधुकर सिंह ( राम सिहांसन सिंह ) के सम्पूर्ण लेखन में सामाजिक व्यवस्था, खासकर गाँवों के सामंती, अर्द्ध-सामंती ढाँचे के विरूद्ध जो विद्रोह है, उसे समझने के लिए उनके बाल्यावस्था की एक घटना का उल्लेख जरूरी है। धरहरा प्राईमारी स्कूल के हेडमास्टर थे रामाशीष पाण्डेय। मधुकर सिंह का बाल स्वर बहुत सधा हुआ था। इसलिए पाण्डेय ने स्कूल के प्रार्थना गीत- हे प्रभु आनंददाता- ज्ञान हमको दीजिए – के लिए मधुकर सिंह को चुना था। मधुकर ( राम सिहांसन ) सबसे पहले प्रार्थना-गीत गाते, अन्य लड़के उसका अनुकरण करते। उस समय तक रामाशीष पाण्डेय को यह जानकारी नहीं थी कि ये किस जाति के हैं। राम सिंहासन सिंह राजपूती नाम था। लेकिन एक दिन उन्हें मधुकर की जाति कोइरी, कुशवाहा का पता चल गया। सबसे पहले उन्होंने प्रार्थना गीत से उनकी छुट्टी कर दी। फिर हिदायत दी कि क्लास में लम्बाई के अनुसार छात्र बैठेगें। दरअसल, यह तरकीब उनकी सामंती सोंच थी। मधुकर सिंह लम्बे थे और आगे की सीट पर बैठते थे। पिछली सीट पर इन्हें भेजा गया। ऐसा क्यों ? इन्होंने पूछा था। जवाब था- पीछे के लड़के तुम्हारे लम्बाई से छिप जाते हैं। लेकिन मधुकर के साथ दलित-पिछड़े वर्ग के छोटे कद के बच्चे भी पीछे बिठाए जाने लगे। मधुकर सिंह को एहसास हो गया कि इसका कारण जाति है- लम्बाई नहीं। प्रतिक्रियास्वरूप छुट्टी के दिन इन्होंने हेडमास्टर पाण्डेय का रेखा चित्र क्लास की दीवार पर गेरू से उकेर दिया। पाण्डेय जी गाॅंधी टोपी पहनते थे। उनकी टोपी को आकाश में उड़ते हुए चित्रित किया। जब भेद खुला कि यह मधुकर सिंह की करतूत है तो बेंत से इनकी जमकर पिटाई हुई। इस घटना ने मधुकर सिंह के भीतर वर्ण-व्यवस्था के खिलाफ घृणा का बीज बो दिया।

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Answered by Anonymous
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\huge\fbox\pink{✯उत्तर✯}

१) क्रियापदं - विद्ययते

२) त्रीणी- त्रिषु

\huge\boxed{\dag\sf\red{Thanks}\dag}

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