pls tell the चित्रकला of sikkim
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सिक्किम की संस्कृति को वहां की धरती, लोग, धर्म, भाषा, शिल्पकला, नृत्य-संगीत और वहां के पारंपरिक भोजन एवं पर्यटन के द्वारा जाना जा सकता है। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण सिक्किम एक पृथक संस्कृति को संजोये हुए है। इन तमाम बातों की जानकारी मिल रही है इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में लगी छायाचित्र प्रदर्शनी सुखिम के जरिए। भारत वर्ष के उत्तर पूर्व में तीन दिशाओं से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा सिक्किम एक छोटा सा राज्य है, पर्वतों की गोद में बसा सिक्किम पूर्व में सुखिम के नाम के जाना जाता था जिसका अर्थ है ‘नया घर’। कालांतर में यही शब्द सिक्किम में परिवर्तित हुआ। हिमालय पर्वत शृंखला में स्थित विश्व के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत कंचनजंगा की मेजबानी सिक्किम करता है। श्वेत बर्फीले पर्वतों की इस शृंखला को सिक्किम के लोग उनके देवी-देवताओं का निवास स्थान मानते हैं। सिक्किम में निवासरत 22 लोग समुदाय में भूटिया, लेपचा, नेपाली, लिम्बू आदि उल्लेखनीय है। लेपचा समुदाय जहां हथकरघे, केन एवं बांस से कलात्मक वस्तुएं तैयार करते हैं, वहीं भूटिया समुदाय कालीन निर्माण कला एवं थंका चित्रकला बनाने के लिये प्रसिद्ध हैं जबकि नेपाली समुदाय अच्छे शिल्पकार होते हैं। प्रस्तुत प्रदर्शनी इन्हीं विशेषताओं के साथ प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी संयोजन अरुण किरो द्वारा डाॅ. उत्तम लाल एवं डाॅ. करिश्मा लेपचा के सहयोग से किया गया है।